अब ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिखा गया, देश का नाम बदलने के कयास हुए और तेज

  • जी-20 के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से जारी हुआ है एक नोट

(फोटो : पीएम भारत)

नई दिल्ली। देश का नाम ‘इंडिया’ से ‘भारत’ किए जाने के सुगबुगाहट के बीच एक और दस्तावेज सामने आया है, जो देश का नाम बदले जाने के कयास और तेज कर रहा है। मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से जी-20 नेताओं को दिए गए रात्रिभोज के निमंत्रण में पारंपरिक ‘इंडिया के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था, जिसके बाद देश ने नाम बदले जाने को लेकर विवाद और अटकलें शुरू हो गई थी। वहीं एक और दस्तावेज सामने आया है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी का जिक्र ‘भारत के प्रधानमंत्री’ के तौर पर गया है। बुधवार और गुरुवार को होने वाले 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से जारी एक नोट में ‘भारत के प्रधानमंत्री’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। संवित पात्रा की तरफ से शेयर की गई इस तस्वीर के बाद विवाद पैदा हो गया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ‘इंडिया’ को हटाकर देश के नाम के रूप में केवल ‘भारत’ रखने की योजना बना रही है। परंपरागत रूप से अंग्रेजी में देश को इंडिया कहा जाता है। इससे यह अटकलें भी तेज हो गईं कि देश का नाम बदलने का मुद्दा 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के दौरान उठ सकता है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश सहित विपक्षी नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया।

जयराम रमेश ने जताया विरोध

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “तो यह खबर वास्तव में सच है। राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए सामान्य ‘इंडिया के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है।” अब संविधान में अनुच्छेद 1 पढ़ सकते, भारत जो इंडिया है, राज्यों का एक संघ होगा।”

मोहन भागवत के बयान से उठा मुद्दा?

यह विवाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा इंडिया के बजाय भारत का उपयोग करने की जोरदार वकालत करने के चार दिन बाद आया है। 1 सितंबर को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि देश का नाम भारत प्राचीन काल से चला आ रहा है और इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा, “हमारे देश का नाम युगों-युगों से भारत ही रहा है। भाषा कोई भी हो, नाम वही रहता है।”

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