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जी20 से संबंधित रात्रिभोज के निमंत्रण पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत (भारत के राष्ट्रपति)’ के तौर पर संबोधित किए जाने को लेकर मंगलवार को बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया।
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नई दिल्ली। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार देश के दोनों नामों ‘इंडिया’ और ‘भारत’ में से ‘इंडिया’ को बदलना चाहती है। अटकलों को बल देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विश्व नेताओं के जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल ‘भारत मंडपम’ में शनिवार के लिए राष्ट्रपति की ओर से आयोजित जी20 रात्रिभोज का निमंत्रण पत्र साझा किया। प्रधान ने खुद को मिले निमंत्रण की एक तस्वीर साझा करते हुए ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ हैशटैग का इस्तेमाल किया और कहा, \”जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता। जय हो। इस निमंत्रण को सोशल मीडिया पर खूब साझा किया गया है। विपक्ष ने इस निमंत्रण में ‘प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ लिखे जाने को लेकर आपत्ति जताई और दावा किया कि सरकार विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से डर गई है और इस कारण देश का नाम बदलने में जुट गई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा, यह खबर वास्तव में सच है। राष्ट्रपति भवन ने जी-20 शिखर सम्मेलन में नौ सितंबर के लिए ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाय ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, अब, संविधान के अनुच्छेद 1 में पढ़ा जा सकता है: ‘भारत जो इंडिया था, राज्यों का एक संघ होगा’। लेकिन अब इस ‘राज्यों के संघ’ पर भी हमले हो रहे हैं।जी-20 शिखर सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में नौ से 10 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित किया जा रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित दुनिया भर के कई राष्ट्राध्यक्ष इसमें भाग ले रहे हैं।
एक अन्य पोस्ट में रमेश ने कहा, मोदी इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना जारी रख सकते हैं और भारत को बांट सकते हैं। लेकिन हम विचलित नहीं होंगे। आखिर ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्कलूसिव अलायंस) के घटक दलों का उद्देश्य क्या है? यह भारत है – सद्भाव, मेलजोल, मेल-मिलाप और विश्वास। जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया! पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि इंडिया ही भारत है, लेकिन दुनिया हमें इंडिया के नाम से जानती है।” उन्होंने सवाल किया, अचानक ऐसा क्या बदल गया कि हमें केवल भारत का उपयोग करना चाहिए। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि फासीवादी भाजपा शासन को उखाड़ फेंकने के लिए गैर-भाजपा ताकतें एकजुट हुईं और अपने गठबंधन को उपयुक्त नाम ‘इंडिया’ दिया। अब भाजपा चाहती है ‘इंडिया’ को बदलकर ‘भारत’ कर दिया जाए।’ उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, भाजपा ने ‘ट्रांसफॉर्म इंडिया’ वादा किया था, लेकिन हम 9 साल बाद देख रहे हैं सिर्फ नाम बदला जा रहा है! ऐसा लगता है कि भाजपा ‘इंडिया’ शब्द के इस्तेमाल किए जाने से परेशान है क्योंकि वे विपक्ष के भीतर एकता की ताकत को पहचानते हैं। चुनावों के दौरान, ‘इंडिया’ भाजपा को सत्ता से बाहर करेगी। विपक्ष पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सवाल किया कि ‘प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया’ शब्द का उपयोग करने में क्या दिक्कत है क्योंकि देश का नाम तो भारत ही है। उन्होंने कहा, कांग्रेस हर चीज को विकृत किए जाने के तौर पर देखती है। कभी वे ‘सनातन धर्म’ को खत्म करने की बात करते हैं। मुझे नहीं लगता कि इसमें (भारत शब्द के उपयोग में) कोई समस्या है। अगर हम भारत का नाम भारत नहीं रखेंगे तो और क्या करेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूछा कि अगर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ अपना नाम फिर से ‘भारत’ रखता है तो क्या भाजपा भारत का नाम बदल देगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि देश का नाम बदलने का अधिकार किसी को नहीं है।
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कांग्रेस बोली- डर और नफरत के चलते बदलाव
कांग्रेस ने जी-20 रात्रिभोज के निमंत्रण में राष्ट्रपति को ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ कहकर संबोधित किए जाने को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार पर देश के संघीय ढांचे पर हमले का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) से डर एवं नफरत के चलते सरकार देश का नाम बदलने में जुट गई है। मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘बांटने वाली’ इस राजनीति के सामने नहीं झुकेगा और वह जीत हासिल करेगा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा, यह खबर वास्तव में सच है। राष्ट्रपति भवन ने जी-20 शिखर सम्मेलन में नौ सितंबर के लिए ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाय ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, अब, संविधान के अनुच्छेद 1 में पढ़ा जा सकता है: ‘भारत जो इंडिया था, राज्यों का एक संघ होगा’। लेकिन अब इस ‘राज्यों के संघ’ पर भी हमले हो रहे हैं।”
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नड्डा बोले- कांग्रेस काे आपत्ति क्यों?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर पलटवार किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, कांग्रेस को देश के सम्मान और गौरव से जुड़े हर विषय से इतनी आपत्ति क्यों है? भारत जोड़ो के नाम पर राजनीतिक यात्रा करने वालों को “भारत माता की जय” के उद्घोष से नफरत क्यों है? स्पष्ट है कि कांग्रेस के मन में न देश के प्रति सम्मान है, न देश के संविधान के प्रति और न ही संवैधानिक संस्थाओं के प्रति. उसे तो बस एक विशेष परिवार के गुणगान से मतलब है। कांग्रेस की देश विरोधी एवं संविधान विरोधी मंशा को पूरा देश भलीभांति जानता है।
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पहले भी उठी थी मांग
2012 में कांग्रेस, 2014 में योगी लाए थे विधेयक
9 अगस्त 2012 को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शांताराम नाइक ने राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश किया। उन्होंने प्रस्ताव रखा था कि संविधान की प्रस्तावना में ‘इंडिया’ शब्द के स्थान पर ‘भारत’ शब्द रखा जाए। ‘इंडिया, दैट इज भारत’ वाक्यांश के स्थान पर एकल शब्द ‘भारत’ रखा जाए। संविधान में जहां भी ‘इंडिया’ शब्द आता है, वहां ‘भारत’ शब्द रख दिया जाए। इसके बाद 2014 में, योगी आदित्यनाथ ने संविधान में ‘इंडिया’ शब्द को ‘हिंदुस्तान’ से बदलने के लिए लोकसभा में एक निजी विधेयक भी पेश किया था। विधेयक में संविधान में जहां कहीं भी इंडिया शब्द आता है, उसकी जगह पर हिंदुस्तान शब्द का प्रस्ताव दिया गया, उनके विधेयक में अनुच्छेद 1 में संशोधन करने का प्रस्ताव था। इस विधेयक के कारणों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश का प्राचीन और पारंपरिक नाम भारत और हिंदुस्तान है। ये दोनों नाम ब्रिटिश-पूर्व काल में प्रचलित थे
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