शिक्षक दिवस पर देशभर के 75 शिक्षकों का सम्मान

  • नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ कार्यक्रम
  • राष्ट्रपति मुर्मू ने को शिक्षकों से प्रेरणा लेने का किया आह्वान

नई दिल्ली। शिक्षक दिवस के मौके पर मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशभर के 75 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक अवॉर्ड-2023 से सम्मानित किया। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए कार्यक्रम में सभी शिक्षकों को पुरस्कार में 50 हजार रुपए नकद, प्रशस्ति पत्र, शॉल, श्रीफल दिया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षकों और छात्रों को चरक, सुश्रुत और आर्यभट्ट से लेकर चंद्रयान-3 तक की उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और राष्ट्र के उज्जवल भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारे शिक्षक और छात्र मिलकर कर्तव्य काल में भारत को एक विकसित देश बनने की दिशा में तेजी से आगे लेकर जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक मजबूत और जीवंत शिक्षा प्रणाली को विकसित करने पर जोर दिया गया है।


ये शिक्षक बने प्रेरणा

डॉ. शीला ने साइन लैंग्वेज से बच्चों को कराया शब्द ज्ञान

(फोटो : शीला आसोपा, जोधपुर राजस्थान)

राजस्थान के जोधपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल बावड़ी की प्रिंसिपल डॉ. शीला असोपा बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड तक सीमित नहीं रही हैं। वे स्कूली बच्चों के साथ तालाब की सफाई जैसे कार्यों में भी पूरा योगदान देती हैं। टीचिंग के लिए भी वे पारंपरिक तरीकों पर निर्भर नहीं हैं। उन्होंने 5 साल की कड़ी मेहनत कर उन्होंने 35 मिनट की डिजिटल बुक तैयार कराई है। इसमें साइन लैंग्वेज से बच्चों को शब्द ज्ञान कराया जाता है। इस डिजिटल बुक में एनिमेटेड चित्रों के जरिए चैप्टर को समझाया गया है। इस बुक को अब राजस्थान के 10 हजार से ज्यादा निजी व सरकारी स्कूलों के 10 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। सरकारी स्कूल के बच्चों की लर्निंग स्किल बेहतर हुई है। अब उन्हें राष्ट्रपति से नेशनल टीचर अवॉर्ड मिल रहा है। जोधपुर की किसी टीचर को यह राष्ट्रपति अवॉर्ड 8 साल बाद मिला है। इससे पहले 2015 में कल्पना दाधीच, 2014 में प्रिंसिपल अनिल कुमारी राठौड़ व शिक्षिका मीना जांगिड़ को यह अवॉर्ड मिला था।

बच्चों को पढ़ाने के लिए शराबियों से लड़ीं आसिया

(फोटो : आसिया)

फतेहपुर के प्राथमिक विद्यालय अस्ती में आसिया के आने से पहले भी कई अध्यापकों की पोस्टिंग हुई, लेकिन ज्यादा दिन तक कोई भी टिक नहीं सका। यह स्कूल शराबियों का अड्डा था। यहां नशेड़ी जुआ खेलते थे और बाकी बची जगह में लोग अपने जानवर बांधते थे। आसिया ने स्कूल पहुंचकर सबसे पहले शराबियों से लड़कर उन्हें हटाया और जर्जर स्कूल को अच्छा बनाया। उन्होंने विद्यालय को सजाने के लिए अपनी आधी सैलरी तक दे डाली। आज स्कूल में 5 की जगह 250 बच्चे पढ़ रहे हैं। इन्हीं सब कामों के लिए आसिया को ये सम्मान मिला।

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