:झूठी रिपोर्ट फैलाने का लगाया आरोप
(फोटो : मणिपुर सीएम)
इंफाल। मणिपुर में हिंसा और तनाव के हालात पर रिपोर्टिंग को लेकर मणिपुर सरकार ने ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करवाई है। राज्य की सरकार का कहना है कि संगठन अपनी रिपोर्ट्स के जरिए झूठ फैला रहा है और गलत तथ्य पेश कर रहा है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि एडिटर्स गिल्ड के सदस्य राज्य में हिंसा को बढ़ावा दे रहे थे और इससे तनाव बढ़ सकता था। बता दें कि मणिपुर में बीते तीन महीने से जारी जातीय संघर्ष की मीडिया रिपोर्ट्स को देखने के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की एक टीम (सीमा गुहा, संजय कपूर और भारत भूषण ) मणिपुर गई थी। सरकार ने इन तीनों के खिलाफ केस दर्ज करवाया है। सरकार का आरोप है कि यह टीम जो भी प्रस्तुत कर रही है वह झूठा और मनगढ़ंत है।
एडिटर गिल्ड की रिपोर्ट
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि स्पष्ट संकेत हैं कि राज्य सरकार पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि राज्य की सरकार लोकतांत्रिक चुनी हुई सरकार के रूप में अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर पाई है। बता दें कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया संगठन को 1978 में स्थापित किया गया था जिसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और मीडिया के मानकों को बढा़ना है।
मई से जारी है हिंसा
बता दें कि 3 मई से ही मणिपुर में कुकी और मैतेयी समुदाय के बीच तनाव का माहौल है। राज्य में अब तक कम से कम 170 लोगों की जान जा चुकी है। विवाद आरक्षण को लेकर शुरू हुआ था। मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि मैतेयी समुदाय को भी एसटी का दर्जा दिया जाए। इसके बाद कुकी समुदाय प्रदर्शन कर रहा था जहां से हिंसा शुरू हो गई। मणिपुर के हजारों को लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ा।
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इंफाल घाटी में जातीय सफाया पूरा : चिदंबरम
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने आरोप लगाया कि मणिपुर की इंफाल घाटी में ‘जातीय सफाया पूरा हो गया है।’ उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम से ज्यादा ‘शर्मनाक’ कुछ नहीं हो सकता।उन्होंने मीडिया में आई उस खबर का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया कि इंफाल से अंतिम पांच कुकी परिवारों को अधिकारियों ने उनके घरों से ‘जबरन हटा दिया।’ चिदंबरम ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इसका मतलब है कि इंफाल घाटी में जातीय सफाया पूरा हो गया है, जहां मेइती लोगों का दबदबा है। चिदंबरम ने कहा, ‘‘एक राज्य सरकार ‘जातीय सफाए’ का नेतृत्व करती है और केंद्र सरकार का दावा है कि राज्य की सरकार संविधान के अनुसार चल रही है।’उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम से ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। चिदंबरम ने कहा, ‘‘यह भारत के अराजकता की दिशा में बढ़ने के नए निचले स्तर का प्रतीक है।’अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद मई की शुरुआत में मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं, जिसमें 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। नगा और कुकी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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