सूर्य की ओर एक और कदम, ‘आदित्य’ ने बदली कक्षा

–सूर्य मिशन : पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक हुई पूरी

बेंगलुरु। इसरो ने रविवार को कहा कि देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1′ की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। इसरो के मुताबिक, इस प्रक्रिया को यहां स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से अंजाम दिया गया। अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि ‘आदित्य एल1′ उपग्रह एकदम ठीक है और यह समान्य ढंग से काम कर रहा है। इसरो ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में बताया कि कक्षा संबंधी अगली प्रक्रिया पांच सितंबर, 2023 को भारतीय समयानुसार देर रात लगभग तीन बजे के लिए निर्धारित है। इसने कहा, ‘आदित्य-एल1 मिशन : उपग्रह एकदम ठीक है और सामान्य ढंग से काम कर रहा है। पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया (ईबीएन#1) आईएसटीआरएसी, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित की गई। प्राप्त की गई नयी कक्षा 245 किलोमीटर गुना 22,459 किलोमीटर है। ‘आदित्य एल1′ को शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था।

मिशन का लक्ष्य सूर्य-पृथ्वी ‘एल1′ बिंदु पर भारत की पहली सौर वेधशाला स्थापित कर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है। एल1 का मतलब ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1′ है, जहां अंतरिक्ष यान को स्थापित किया जाएगा। सौर पैनल के सक्रिय होने के बाद उपग्रह ने विद्युत ईंधन पैदा करना शुरू कर दिया। इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा। यह दूरी पृथ्वी और सूर्य की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। अंतरिक्ष एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि यान न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के और करीब जाएगा।

16 दिन में 5 बार बदलेगा कक्षा

आदित्यन एल- 1, 16 दिनों में पांच बार पृथ्वी की कक्षा बदलेगा। इसके बाद थ्रस्टर फायर किए जाएंगे और यह पॉइंट एल-1 की तरफ छलांग लगा देगा। बता दें कि एल-1 पॉइंट ऐसी जगह है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बैलेंस हो जाता है और आसानी से किसी ऑब्जेक्ट को स्थापित किया जा सकता है। यहां से सूर्य ग्रहण का प्रभाव भी नहीं पड़ता है। ऐसे में आसानी से लगातार सूर्य पर नजर रखी जा सकती है।

चैन की नींद सो गया ‘प्रज्ञान’

चंद्रयान 3 मिशन से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आई है। रोवर ‘प्रज्ञान’ ने अपना असाइनमेंट पूरा कर लिया है और अब यह चैन की नींद सो गया। इसरो ने बताया कि रोवर को सुरक्षित ढंग से पार्क कर दिया गया है और स्लीप मोड में डाल दिया गया है। इसके अलावा एपीएक्सएस और एलआईबीएस पेलोड्स को भी बंद कर दिया गया है। इसरो के मुताबिक इन पेलोड्स में दर्ज सभी डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी पर ट्रांसमिट किया जा चुका है। इसके अलावा इसरो ने यह भी बताया अब रोवर कब नींद से जागेगा।

अब आगे क्या

इसरो ने आगे बताया, फिलहाल रोवर प्रज्ञान की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है। इसके साथ ही रोवर के सोलर पैन को इस तरह से सेट कर दिया गया है कि जब 22 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर फिर से सूरज की रोशनी पड़े यह उसे ग्रहण कर सके। इसके साथ ही इसरो ने यह उम्मीद जताई है कि रोवर प्रज्ञान अपने अगले असाइनमेंट के लिए सफलतापूर्वक जागने में कामयाब रहेगा। इसके बाद यह मिशन से जुड़े अपनी बाकी गतिविधियों को अंजाम देगा।

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