नई दिल्ली। भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के एक पैनल ने पांच से 11 साल के बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन कोर्बोवैक्स की सिफारिश की है। डीसीजीआई की एक्सपर्ट कमेटी ने कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक से पांच से 11 वर्ष की आयु के लोगों के बीच कोवैक्सीन के उपयोग के लिए अपने आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) आवेदन की समीक्षा करने के लिए अधिक डेटा मांगा था। पिछले साल सितंबर में बायोलॉजिकल ई को अपनी वैक्सीन का ट्रायल 5 से 18 साल की आयुवर्ग के बच्चों पर करने की अनुमति मिली थी। इस आयुवर्ग में हुए फेज 2 और 3 के क्लीनिकल ट्रायल में ये वैक्सीन सुरक्षित और असरदार साबित हुई है।
9 मार्च से 12 से 17 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने पिछले साल 28 दिसंबर को वयस्कों में आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए कोवोवैक्स को मंजूरी दी थी और इस साल 9 मार्च को कुछ शर्तों के अधीन 12 से 17 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों के लिए मंजूरी दी थी। बायोलॉजिकल कोर्बोवैक्स का उपयोग 12 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को कोविड-19 के खिलाफ टीका लगाने के लिए किया जा रहा है।
देश की पहली प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन
कोर्बोवैक्स देश की पहली प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है। जबकि देश में ही बनाई गई ये तीसरी कोरोना वैक्सीन है। प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन का मतलब है कि ये पूरे वायरस की बजाय उसके एक हिस्से का इस्तेमाल कर इम्युनिटी पैदा करती है। इस वैक्सीन में कोरोना वायरस के S प्रोटीन का इस्तेमाल किया गया है। जैसे ही वैक्सीन के जरिए S प्रोटीन शरीर के अंदर जाता है, वैसे ही इम्युन रिस्पॉन्स एक्टिवेट हो जाता है और वायरस से लड़ता है।
ऐसे लगाई जाएगी वैक्सीन
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड की तरह ही कोर्बोवैक्स लगाई जाएगी। ये भी एक इंटरमस्कुलर वैक्सीन है जो इंजेक्शन के जरिए दी जाएगी। इस वैक्सीन की दो डोज लगाई जाएगी. दोनों डोज में 28 दिन का अंतर होगा।
कितनी असरदार
- पिछले साल सितंबर में बायोलॉजिकल ई को अपनी वैक्सीन का ट्रायल 5 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर करने की अनुमति मिली थी। फेज 2 और फेज 3 ट्रायल में ये वैक्सीन असरदार साबित हुई है। हालांकि, बच्चों पर ये वैक्सीन कितनी असरदार साबित हुई है, इसका डेटा कंपनी ने नहीं दिया है। हालांकि, वयस्कों पर किए गए ट्रायल में ये वैक्सीन 80% तक असरदार साबित हुई है। कंपनी का दावा है कि वुहान में मिले स्ट्रेन के खिलाफ ये वैक्सीन 90% और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 80% तक असरदार है। कंपनी का ये भी दावा है कि कोर्बोवैक्स में कोविशील्ड की तुलना में 50% कम साइड इफेक्ट्स हैं।
कितनी हो सकती है कीमत?
देश में सभी को केंद्र सरकार की ओर से मुफ्त में वैक्सीन लगाई जा रही है। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में भी वैक्सीनेशन हो रहा है। सरकारी अस्पतालों और सरकारी केंद्रों में कोर्बोवैक्स फ्री में ही लगाई जाएगी. वहीं, प्राइवेट अस्पतालों में इसकी एक डोज की कीमत 145 रुपये हो सकती है।
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