- भारत ने सख्त आपत्ति जताते हुए की थी निंदा
- विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था- संकीर्ण मानसिकता का परिचय
नई दिल्ली। अमेरिकी डेमोक्रेट सांसद इल्हान उमर के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) दौरे पर भारत की सख्त आपत्ति व निंदा के बाद बाइडन प्रशासन ने सफाई दी है। अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया है कि इल्हान का यह दौरा सरकारी नहीं था। भारत ने इल्हान के दौरे को देश की संप्रभुता का हनन बताया था। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के काउंसलर डेरेक चॉलेट ने कहा- ये एक अनऑफिशियल और व्यक्तिगत दौरा है। इसका अमेरिका या उसकी नीतियों से कोई लेना-देना नहीं है।
इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस सदस्य इल्हान उमर के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर दौरे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इल्हान उमर ने जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से का दौरा किया, जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। यदि ऐसी कोई राजनेता अपने देश में अपनी संकीर्ण मानसिकता की राजनीति करना चाहती है तो यह उसका अपना मामला है, लेकिन अगर ऐसा करके हमारे क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है तो यह हमारा सरोकार हो जाता है। यह निंदनीय है।
भारत विरोधी रुख
पीओके दौरे के बाद उमर ने कश्मीर पर मानवाधिकार का मसला उठाया था। उन्होंने कहा था, कश्मीर पर अमेरिका की तरफ से और ध्यान दिया जाना चाहिए। ‘मुझे नहीं लगता कि इसपर (कश्मीर पर) कांग्रेस और प्रशासन में उतनी बात की जा रही है, जितना जरूरत है।’ उमर पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी मिली थीं। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शहबाज ने कहा कि उन्होंने भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाने वाली 39 साल की सांसद के साथ कश्मीर का मुद्दा उठाया और जम्मू-कश्मीर के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया। उमर के दौरे को अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों को फिर से शुरू करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
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कौन हैं इल्हान उमर
डेमोक्रेट पार्टी से जुड़ी उमर मिनेसोटा से रिप्रेजेंटेटिव हैं। 4 अक्टूबर 1982 में सोमालिया के मोगादीशू में जन्मीं उमर की पढ़ाई, मिनेपोलिस स्थित एडिसन हाईस्कूल और नॉर्थ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी से हुई है। इससे पहले वे मिनेसोटा डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन और मिनेपोलिस सिटी काउंसिल में भी काम कर चुकी हैं। ट्विन सिटी पॉलिसी एनालिसिस में माहिर मानी जाने वाली उमर अनुभवी वक्ता और वकील भी हैं। उन्होंने साल 2019 में पद की शपथ ली थी। खास बात है कि वह पहली अफ्रीकी शरणार्थी हैं, जो कांग्रेस की सदस्य बनी और साथ ही वह मिनेसोटा का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली अश्वेत महिला हैं।
मारियूपोल में मिली 9 हजार लोगों की विशाल सामूहिक कब्र
- मैक्सर टेक्नोलॉजीस की सेटेलाइट इमेज से खुलासा
मारियूपोल। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मारियूपोल शहर इस वक्त चर्चा में है। खारकीव, सुमी में तबाही मचाने के बाद अब मारियूपोल पुतिन की सेना के निशाने पर है। रूस का दावा है कि उसने मारियूपोल को यूक्रेन से ‘आजाद’ कर दिया है। इस बीच वहां की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जो अत्याचार की गवाही दे रही हैं। मारियूपोल में एक विशाल सामूहिक कब्र की तस्वीर सामने आई हैं। मारियूपोल प्रशासन का दावा है कि वहां रूसी सेना ने करीब 9 हजार यूक्रेनी लोगों को मारकर दफना दिया है। बता दें कि मैक्सर टेक्नोलॉजीस ने गुरुवार को कुछ सेटेलाइट इमेज जारी की थीं। ये तस्वीरें मैनुश की हैं, जो कि डोनेट्स्क प्रांत का एक शहर है। यह जगह मारियूपोल से करीब 20 किलोमीटर दूर है। तीन अप्रैल की इस तस्वीर के मुताबिक, यहां करीब 200 कब्रें मिली हैं। यहां कब्रों के चार सेक्शन मिले हैं और प्रत्येक की लंबाई 85 मीटर के करीब है। रूस के रक्षा मंत्री के मुताबिक, मारियोपूल की ‘आजादी’ पर व्लादिमीर पुतिन ने खुशी जाहिर की है। रक्षा मंत्री ने कहा कि एजोवस्तल स्टील प्लांट के अलावा बाकी पूरे शहर पर मॉस्को का कब्जा है। स्टील प्लांट में फिलहाल यूक्रेनी सैनिक मौजूद हैं। युद्ध में पुतिन की मदद कर रहे चेचन विद्रोही रमजान कैद्यरोव के लोगों ने भी कहा है कि मारियूपोल को तबाह करने का स्पेशन ऑपरेशन पूरा हो चुका है।

