— हिंडनबर्ग के बाद अब ओसीसीआरपी की रिपोर्ट, शेयरों के दाम चढ़ाने के लिए हेराफेरी का आरोप
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इंट्रो
हिंडनबर्ग के बाद अब ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट नाम की एक ग्लोबल संस्था ने गौतम अदाणी समूह पर गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रमोटर परिवार के बिजनेस पार्टनर्स ने मॉरीशस स्थित गुमनाम निवेश फंडों के माध्यम से अदाणी समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया था। हालांकि, अदाणी समूह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। इस बीच, राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर फिर निशाना साधा है।
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नई दिल्ली। उद्योगपति गौतम अदाणी की अगुवाई वाले विविध कारोबार से जुड़े अडाणी समूह पर एक बार फिर गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। खोजी पत्रकारों के वैश्विक नेटवर्क ‘ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (ओसीसीआरपी) ने समूह पर गुपचुप तरीके से अपने ही कंपनियों के शेयरों में निवेश का आरोप लगाया है। ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवर्तक परिवार के सहयोगियों द्वारा मॉरीशस स्थित ऐसे निवेश कोष का इस्तेमाल करके समूह की कंपनियों में गुपचुप तरीके से सैकड़ों अरब डॉलर का निवेश किया गया, जिनका कोई अता-पता नहीं है। हालांकि, अडाणी समूह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। इस निवेश की वजह से 2013 से 2018 के दौरान समूह की कंपनियों के शेयरों में जोरदार उछाल आया। ओसीसीआरपी ने कहा कि उसे प्राप्त दस्तावेजों में 2013 से 2018 तक समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतों का समर्थन करने के लिए प्रवर्तक परिवार के भागीदारों द्वारा प्रबंधित दो मॉरीशस आधारित कोष में जटिल व अस्पष्ट विवरण सामने आया है। 2013 से 2018 के बीच समूह ने भारत में काफी तेजी से वृद्धि की थी। ओसीसीआरपी ने कहा कि गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी के दो करीबी लोग मॉरीशस आधारित कंपनियों के एकमात्र लाभार्थी हैं। ऐसा लगता है कि उनके माध्यम से निवेश किया गया। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के नासिर अली शाबान अहली और ताइवान के चांग चुंग-लिंग ने कई वर्षों तक मॉरीशस स्थित दो कोषों के माध्यम से अडाणी समूह में करोड़ों डॉलर के शेयरों का लेन-देन किया। विनोद अदाणी के एक ज्ञात कर्मचारी द्वारा संचालित दुबई स्थित एक कंपनी की निगरानी में यह काम किया गया। ओसीसीआरपी ने एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि बाजार नियामक सेबी को 2014 की शुरुआत में अडाणी समूह द्वारा कथित संदिग्ध शेयर बाजार गतिविधियों के सबूत सौंपे गए थे। यू के सिन्हा 2014 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख थे। अब वह अडाणी के स्वामित्व वाले समाचार चैनल एनडीटीवी के निदेशक एवं चेयरपर्सन हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने जनवरी में अडाणी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी तथा शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था। इन आरोपों के बाद समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी। इस बीच, अदाणी समूह ने एक बयान में स्पष्ट रूप से इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि इसमें पुराने आरोपों को ही अलग तरीके से दोबारा पेश किया गया है। समूह ने इसे ‘हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित सोरोस-वित्तपोषित हितों का एक प्रयास घोषित किया।
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रिपोर्ट में क्या
00 ओसीसीआरपी का दावा है कि जांच में 2 ऐसे मामले सामने आए, जहां ‘रहस्यमयी’ निवेशकों ने गुमनाम फंड्स के जरिए अदाणी के शेयर खरीदे और बेचे।
00 अदाणी परिवार के साथ निवेशक नासिर अली शबान अहली और चैंग चुंग-लिंग के लंबे समय से व्यापारिक रिश्ते हैं। गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी के ग्रुप की कंपनियों और फर्मों में ये डायरेक्टर और शेयरहोल्डर के रूप में भी काम कर चुके हैं।
00 आरोप लगाया गया है कि दस्तावेज से पता चलता है कि उनके निवेश का काम संभालने वाली कंपनी ने विनोद अडाणी की कंपनी को उनके निवेश में सलाह देने के लिए भुगतान किया था।
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दिखा असर, शेयर लुढ़का
अदाणी समूह की नौ कंपनियां घाटे में जबकि एक कंपनी बढ़त में बंद हुई। बीएसई पर, अदाणी ग्रीन एनर्जी का शेयर 4.39 प्रतिशत गिरकर 928.05 रुपए पर आ गया, जिसका बाजार पूंजीकरण 1.47 लाख करोड़ रुपये है। अडाणी पावर का शेयर 2.56 प्रतिशत गिरकर 321.05 रुपये पर आ गया। समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 3.77 प्रतिशत गिरकर 2,418.80 रुपये पर और अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस का शेयर 3.52 प्रतिशत गिरकर 812.15 रुपये पर आ गया।
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अदाणी समूह बोला-समूह की छवि खराब करने
ओसीसीआरपी के आरोपों पर अदाणी समूह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। अदाणी समूह ने कहा कि यह हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने और समूह की प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित प्रयास है। आपको बता दें कि अदाणी को अरबपति जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसे संस्थाओं द्वारा फंडिंग मिलती है। जॉर्ज सोरोस वही अरबपति हैं, जो समय-समय पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते रहते हैं।
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हिंडनबर्ग जैसे आरोप
जनवरी महीने में अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने भी ऐसे ही आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग ने कहा था कि अडानी ग्रुप ने शेल कंपनियों के जरिए शेयरों में गड़बड़ी की है। इसके अलावा ऑडिट और कर्ज समेत कई अन्य मुद्दों पर भी समूह को घेरा था। अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग के दावों को भ्रामक और बिना सबूत वाला बताया और कहा कि उसने हमेशा कानूनों का अनुपालन किया है।
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राहुल ने पूछा- एक अरब डॉलर किसका पैसा
इधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रिपोर्ट आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन कर गहन जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्पष्ट होना चाहिए कि ‘देश से बाहर भेजा गया एक अरब डॉलर’ किसका पैसा है? उन्होंने यह सवाल भी किया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियां उद्योगपति गौतम अदाणी की जांच और उनसे पूछताछ क्यों नहीं कर रही हैं? राहुल गांधी ने कहा, मौजूदा माहौल जी 20 का है। यह दुनिया में भारत की स्थिति को लेकर है। भारत जैसे देश के लिए बहुत जरूरी है कि हमारे आर्थिक माहौल में पारदर्शिता और व्यापार में समान अवसर हों। दो प्रमुख वैश्विक अखबारों ने महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, यह एक सज्जन (गौतम अदाणी) जो भारत के प्रधानमंत्री के करीबी हैं, उन्हें अपनी कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ाने के लिए एक अरब डॉलर स्थानांतरित करने और उस पैसे का भारतीय संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए उपयोग करने की क्यों अनुमति दी गई है? उन्हें मुफ्त यात्रा क्यों करने दी जा रही है?
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