अनुच्छेद 370 : याचिका लगाने वाले शिक्षक को मिलेगी राहत

-सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दे पर गौर करने कहा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से शिक्षक जहूर अहमद भट के निलंबन के मुद्दे पर गौर करने के लिए कहा है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर शिक्षा विभाग ने हाल ही में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में पेश होने के लिए श्रीनगर के एक शिक्षक को सेवा से निलंबित कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने शिक्षक के निलंबन पर ध्यान दिया। बता दें, पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने सुनवाई होते ही बताया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील देने के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भट्ट को नौकरी से निलंबित कर दिया। सिब्बल ने कहा कि उन्होंने दो दिन की छुट्टी ली थी। वह अदालत के समक्ष पेश हुए और वापस चले गए। जब वह वापस लौटे तो उन्हें निलंबित कर दिया गया।इस पर पीठ ने वेंकटरमनी को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात करने और इस मुद्दे पर गौर करने को कहा। पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। इस अदालत के समक्ष बहस करने वाले को निलंबित कैसे किया जा सकता है। इस पर वेंकटरमनी ने जवाब दिया कि वह इस मुद्दे को देखेंगे।

यह है मामला

रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षक जहूर अहमद भट, जो एक वकील भी हैं, 23 अगस्त को मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए थे। सरकार के प्रमुख सचिव (स्कूल शिक्षा) आलोक कुमार द्वारा बीते 25 अगस्त को जारी एक आदेश में भट को दोषी अधिकारी करार दिया गया था। जम्मू-कश्मीर सीएसआर, जम्मू और कश्मीर सरकार कर्मचारी (आचरण) नियम, 1971 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए इन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

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