इसरो ने जारी की लैंडर की पहली सेल्फी

विक्रम लैंडर से निकला प्रज्ञान रोवर, तय की 8 मीटर की दूरी

बेंगलुरु। चंद्रयान के लैंडिंग करने के बाद से देशभर की निगाहें उसके हर क्रियाकलापों को जानने के लिए उत्सुक है। इस बीच इसरो ने विक्रम लैंडर में से प्रज्ञान रोवर के निकलने का वीडियो भी जारी किया है। यानी सूरज से एनर्जी लेकर उसने काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 के रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चांद की सतह पर लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है और इसके उपकरण चालू हो गए हैं। रोवर के उपकरण एलआईबीएस और एपीएक्सएस चालू हैं। इसने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर पर सभी उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं।

जब तस्वीर ली, तब धरती पर रात थी

इससे कन्फ्यूज होने की जरुरत नहीं कि लैंडर की तस्वीर रात सवा दस बजे के आसपास की है। फिर फोटो कैसे आ गई। चांद पर जहां लैंडर उतरा है, वहां पर इस समय अगले 14-15 दिनों तक दिन रहेगा। इसलिए 23 अगस्त की शाम को लैंडिंग का समय चुना गया था। ताकि सूरज की रोशनी लगातार मिल सके। हमारे लिए धरती पर रात थी पर वहां तो अभी सूरज उगा ही है और अगले 14-15 दिनों तक उगा ही रहेगा।

दोनों तस्वीरें लॉन्चिंग वाले दिन की

दोनों ही तस्वीरें लॉन्चिंग वाले दिन ली गई थीं। बाएं तरफ की पहली तस्वीर 23 अगस्त की दोपहर दो बजकर 28 मिनट पर ली गई थी, जिसमें चांद की सतह पर कोई लैंडर नहीं दिख रहा है। दूसरी तस्वीर 23 अगस्त की रात दस बजकर 17 मिनट पर ली गई थी। जिसमें विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरा हुआ दिख रहा है।

चार में से तीन पेलोड्स किए गए ऑन

आपको बता दें कि इससे पहले इसरो ने ट्वीट करके बताया था कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर से संबंधित सभी काम सही से चल रहे हैं। दोनों की सेहत भी ठीक है। लैंडर मॉड्यूल के पेलोड्स इल्सा, रंभा और चास्टे को ऑन कर दिया गया है। रोवर की मोबिलिटी ऑपरेशन शुरु हो चुकी है। इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा पेलोड शेप की ऑन किया जा चुका है।

दक्षिणी ध्रुव पानी की खोज है अहम

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जमा हुआ पानी होने की संभावना है। ऐसा दुनिया भर की स्पेस एजेंसियां और निजी कंपनियां मानती हैं। इसका मतलब ये है कि भविष्य में पानी वाली जगह के आसपास मून कॉलोनी बनाई जा सकती है। चांद पर खनन का काम शुरू हो सकता है। यहीं से मंगल ग्रह के लिए मिशन भेजे जा सकते हैं।

इसके बाद इसरो ने लैंडिंग से ठीक पहले का वीडियो जारी किया। यह वीडियो लैंडर में लगे लैंडर इमेजर कैमरे से बनाया गया है। इस वीडियो में साफ पता चलता है कि कैसे लैंडर ने 30 किलोमीटर से नीचे आकर चांद की सतह पर लैंडिंग की है। सिर्फ यही नहीं यह भी दिखता है कि वह लैंडिंग के लिए उपयुक्त जगह खुद सेलेक्ट कर रहा है ताकि सुरक्षित लैंडिंग कर सके।

यह वीडियो बेहद शानदार है। जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे लैंडर के रैंप से रोवर उतरकर बाहर आ रहा है। रोवर के सोलर पैनल्स उठे हुए दिख रहे हैं।

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