—चंद्रयान-3 की सफलता के चर्चे पूरी दुनिया में, इसरो चीफ ने बताया अगला मिशन
—सोमनाथ बोले-चंद्रमा की सतह पर चिह्नित क्षेत्र के अंदर उतरा ‘विक्रम’
—
4.5 गुणा 2.5 किमी के रूप में किया गया था चिह्नित
500 मीटर के दायरे में जानकारी जुटाएगा रोवर
14 दिन तक हर दिन की रिपोर्ट वैज्ञानिकों के लिए होगी अहम
—
इंट्रो
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों के हौंसले बुलंद हैं। चांद को मुट्ठी में करने के बाद अब वैज्ञानिक सूरज को फतह करने की तैयारी में जुटने वाले हैं। सितंबर के पहले हफ्ते में सूर्य के लिए मिशन आदित्य की तैयारी है। इसके बाद आपरेशन गगनयान के तहत मानवरहित यान को रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
—
बेंगलुरु। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने गुरुवार को कहा कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह पर चिह्नित क्षेत्र के अंदर उतरा। सोमनाथ ने कहा, लैंडर चिह्नित स्थान पर सही से उतरा। लैंडिंग स्थल को 4.5 किमी गुणा 2.5 किमी के रूप में चिह्नित किया गया था। मुझे लगता है कि उस स्थान पर, और उसके सटीक केंद्र की पहचान उतरने के स्थल के रूप में की गई थी। यह उस बिंदु से 300 मीटर के दायरे में उतरा। इसका मतलब है कि यह लैंडिंग के लिए चिह्नित क्षेत्र के अंदर है। इसरो ने बुधवार को अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस ‘एलएम’ की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिग कराई। भारतीय समयानुसार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर इसने चांद की सतह को छुआ। इसरो ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि लैंडर से रोवर बाहर निकल गया है। इसरो प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि रोवर अब अच्छी तरह काम कर रहा है। चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के सफलतापूर्वक उतरने के बाद इसरो को उम्मीद है कि इस मिशन की अवधि एक चंद्र दिवस या पृथ्वी के 14 दिन तक सीमित नहीं रहेगी और चांद पर फिर से सूर्य निकलने पर यह पुन: सक्रिय हो सकता है। लैंडर और रोवर के उतरने के बाद, उन पर मौजूद प्रणालियां अब एक के बाद एक प्रयोग करने के लिए तैयार हैं, ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिनों के भीतर पूरा किया जा सके, इससे पहले कि चंद्रमा पर गहरा अंधेरा और अत्यधिक ठंडा मौसम हो जाए। चंद्रयान का लैंडर विक्रम बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा और इसने इस मिशन की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के साथ एक उद्देश्य पूरा किया। इसरो ने आज घोषणा की कि रोवर प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकल गया है। इसने कहा, भारत ने चांद पर चहलकदमी की। कुल 1752 किलोग्राम वजनी लैंडर और रोवर चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन करने के वास्ते एक चंद्र दिन के प्रकाश में परिचालन करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। हालांकि, इसरो के अधिकारी इनके एक और चंद्र दिवस के लिए सक्रिय होने की संभावना को खारिज नहीं कर रहे। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सॉफ्ट लैंडिंग के बाद की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा था, इसके बाद एक के बाद एक सारे प्रयोग चलेंगे। ये सभी चंद्रमा के एक दिन में जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है, में पूरे करने होंगे। उन्होंने कहा था कि जब तक सूरज की रोशनी रहेगी, सारी प्रणालियों को ऊर्जा मिलती रहेगी।
सूरज की रौशनी मिलते ही फिर सक्रिय हो सकता है रोव
सोमनाथ ने कहा, जैसे ही सूर्य अस्त होगा, हर तरफ गहरा अंधेरा होगा। तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाएगा। तब प्रणालियों का काम कर पाना संभव नहीं होगा और यदि यह आगे चालू रहता है तो हमें खुश होना चाहिए कि यह फिर से सक्रिय हो गया है। हम एक बार फिर से प्रणाली पर काम कर पाएंगे। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि ऐसा ही कुछ हो।
—
बच्चों का नाम रखा ‘चंद्रयान’
पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा की सतह पर भारत के चंद्र अभियान के कदम रखने के तुरंत बाद ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में जन्मे कई बच्चों का नाम ‘चंद्रयान’ रखा गया है। अरिपाड़ा गांव की निवासी मलिक की पत्नी रानू ने एक बेटे को जन्म दिया है। रानू ने कहा कि घर के बड़े बुजुर्गों को बच्चे का नाम चंद्रयान के नाम पर रखने का सुझाव दिया जाएगा। तालाचुआ गांव की दुर्गा मंडल, नीलकंठपुर की जोशन्यारानी बाल और अंगुलेई गांव की बेबिना सेठी ने भी बुधवार शाम को बच्चे को जन्म दिया। दुर्गा ने एक बेटी को जन्म दिया जबकि अन्य दोनों ने बेटों को जन्म दिया। केंद्रपाड़ा सरकारी अस्पताल में मुख्य नर्स अंजना साहू ने कहा, ‘‘ये सभी माताएं अपने अपने बच्चों के नाम चंद्रयान पर रखना चाहती हैं।
—
सूर्य के लिए अगले महीने आदित्य मिशन
सूर्य के लिए आदित्य मिशन सितंबर में लॉन्च के लिए तैयार हो रहा है। गगनयान पर अभी भी काम चल रहा है। हम क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए संभवतः सितंबर या अक्टूबर के अंत तक एक मिशन करेंगे।
—
अगले साल गगनयान
अगले साल के शुरुआती महीनों में गगनयान के जरिए व्योममित्र रोबोट को भेजा जाएगा। इसरो ने व्योममित्र महिला ह्यूमेनॉयड रोबोट को 24 जनवरी 2020 को पेश किया था। इस रोबोट को बनाने का मकसद देश के पहले मानव मिशन गगनयान के क्रू मॉड्यूल में भेजकर अंतरिक्ष में इंसानी शरीर की हरकतों को समझना है। यह फिलहाल बेंगलुरु में है। इसे दुनिया की बेस्ट स्पेस एक्सप्लोरर ह्यूमेनॉयड रोबोट का खिताब मिल चुका है।
–
कर्नाटक सरकार इसरो की टीम को करेगी सम्मानित
बेंगलुरु। चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ को ऐतिहासिक उपलब्धि करार देते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि राज्य सरकार इसके लिए इसरो की टीम को आधिकारिक तौर पर सम्मानित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित करेगी। मुख्यमंत्री ने यहां इसरो के ‘टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क’ (आईएसटीआरएसी) का दौरा किया। सफल लैंडिंग के लिए इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ और उनकी टीम को बधाई दी। सिद्धरमैया ने वहां इसरो वैज्ञानिकों और अधिकारियों से बातचीत की और उनकी उपलब्धि की सराहना की।
0000

