चांद का सफरनामा

14 जुलाई : चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचाया गया।

15 जुलाई : आईएसटीआरएसी/इसरो, बेंगलुरु से कक्षा बढ़ाने की पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की

17 जुलाई : दूसरी कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।

22 जुलाई : अन्य कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हुई।

25 जुलाई : इसरो ने एक बार फिर एक कक्षा से अन्य कक्षा में जाने की प्रक्रिया पूरी की।

5 अगस्त : चंद्रयान-3 की लूनर ऑर्बिट इनसर्शन (चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की प्रक्रिया) सफलतापूर्वक पूरी हुई।

9 अगस्त : चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किलोमीटर गुना 1437 किलोमीटर रह गई।

14 अगस्त : एक और प्रक्रिया के पूरा होने के बाद चंद्रयान-3 कक्षा का चक्कर लगाने के चरण में पहुंचा।

16 अगस्त : ‘फायरिंग’ की एक और प्रक्रिया पूरी, 153 किलोमीटर गुना 163 किमी की कक्षा में पहुंचाया

17 अगस्त : लैंडर मॉडयूल को प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग किया गया।

19 अगस्त : इसरो ने अपनी कक्षा को घटाने के लिए लैंडर मॉड्यूल की डी-बूस्टिंग की प्रक्रिया की।

21 अगस्त : चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का स्वागत दोस्त कहकर स्वागत किया।

22 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर से करीब 70 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें जारी की

23 अगस्त : शाम 6.04 बजे पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल के सुरक्षित एवं सॉफ्ट लैंडिग

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