मिशन मून… सरगुजा के युवा वैज्ञानिक निशांत ने भी निभाई है अहम जिम्मेदारी

अंबिकापुर। चंद्रयान 3 की सफलता के बाद पूरा देश खुशी में डूबा हुआ है और जश्न का माहौल है लेकिन सरगुजा वासियों में मिशन मून के सफलता को लेकर दोगुनी खुशी है। मिशन मून में चंद्रयान 3 को बनाने और इसकी सफल लैंडिंग कराने में सरगुजा का युवा वैज्ञानिक भी शामिल है। शहर के युवा वैज्ञानिक निशांत सिंह ने चंद्रयान 3 में अपना अहम योगदान दिया है और इसरो की टीम के साथ मिलकर अल्फा पार्टिकल एक्स- रे स्पेक्टरोमीटर स्थापित किया है, जो वैज्ञानिकों को चांद से जुड़े रहस्य व अन्य जानकारियां प्रदान करेगा। बुधवार का दिन भारत के इतिहास के लिए एक बड़ा और स्वर्णिम दिन बना जब इसरो के वैज्ञानिक द्वारा बनाया गया चंद्रयान 3 की कक्षा में सफलता पूर्वक लैंड कर गया। चन्द्रमा पर चंद्रयान 3 की लैंडिंग को लेकर आज पूरा देश सांसे थाम कर इन्तजार कर रहा था और सरगुजा में भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिला। शहर में भी लोगों ने चंद्रयान 3 की सफतला के लिए कामना की और इसके सफल लैंडिंग का बेसब्री से इन्तजार करते रहे। चंद्रयान 3 के लैंड करते ही सरगुजा में भी जमकर जश्न मनाया गया और आतिश बाजी की गई। चंद्रयान 3 के सफलतापूर्वक लैंडिंग को लेकर सरगुजा में दोगुना उत्साह देखने को मिला और इसका कारण शहर के एक यवा वैज्ञानिक का उस टीम में शामिल होना है जिसने चंद्रयान 3 को तैयार किया है। प्रदेश के साथ ही सरगुजा के लिए भी यह गर्व की बात है कि जिस उद्देश्य से चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण और लैंडिंग कराई गई है उसकी पूर्ति के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के विज्ञानियों के साथ इस कार्य में अंबिकापुर का बेटा निशांत सिंह भी शामिल रहा। शहर के निशांत सिंह के साथ इसरो की विज्ञानियों की टीम ने ही चंद्रयान-3 में एक उपकरण लगाया है जो चांद पर मिट्टी सहित अन्य तत्वों का अध्ययन करेगा। निशांत के साथ टीम ने अल्फा पार्टिकल एक्स – रे स्पेक्टरोमीटर चंद्रयान-3 में स्थापित किया है। इसलिए आज चंद्रयान 3 की सफलता के बाद सरगुजा में भी जमकर जश्न मना और निशांत सिंह के माता पिता को बधाई देने के लिए लोगों का तांता लग गया।


इस तरह हासिल की सफलता

शहर के गोधनपुर निवासी निशांत सिंह ठेकेदार अनिल सिंह के पुत्र है। अनिल सिंह का पूरा परिवार बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर विकसखण्ड में रहता था। दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण सुविधाएं मौजूद नहीं थी। ऐसे में निशांत के जन्म के कुछ वर्षों बाद परिवार रामचंद्रपुर से शहर में शिफ्ट हो गया। पिता अनिल सिंह व मां श्रीमती रत्ना सिंह बच्चे की इस कामियाबी पर खुश है। उन्होंने बताया कि निशांत बचपन से ही पढ़ने होनहार था और काफी मेहनती है। उसने सूरजपुर बसदेई नवोदय से 10वीं की पढ़ाई की और उसके बाद 12 वीं नवोदय की पढ़ाई उसने केरल के कोट्यम स्थित नवोदय से की और यही पढ़ते हुए उसका चयन त्रिवेंद्रपुराम स्थित इंडियम इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एन्ड टेक्नोलॉजी में हो गया। आईआईएसटी से इंजीनियरिंग करने के बाद उसका चयन इसरो में सीनियर वैज्ञानिक के रूप में हुआ था और उन्होंने चंद्रयान 2 में भी काम किया था और अब चंद्रयान 3 में भी उसने काम किया।

इस प्रोजेक्ट में किया काम

युवा वैज्ञानिक निशांत सिंह के पिता अनिल सिंह ने बताया कि निशांत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान हैदराबाद में वरिष्ठ विज्ञानी के पद पर पदस्थ है। निशांत को चंद्रयान 3 का हिस्सा बनाया गया। निशांत उन वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम में शामिल हैं जिन्होंने चंद्रयान 3 में अल्फा पार्टिकल एक्स रे स्पेक्ट्ररोमीटर स्थापना में योगदान दिया है। इसी उपकरण के माध्यम से यह यान चंद्रमा में मिट्टी, पत्थर जैसे तत्वों का विश्लेषण करेगा।

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