देपसांग और दमचोक में गश्त पर अड़ी चीनी सेना

  • चीन के साथ बेनतीजा रही 19वें दौर की वार्ता!
  • भारतीय पक्ष तीन सालों से कई इलाकों में नहीं कर पा रहा गश्त

(फोटो : गश्त)

जम्मू। हालांकि चीन के साथ लद्दाख के मुद्दे पर हुई 19वें दौर की वार्ता का खुशनुमा पहलू यह रहा था कि दोनों पक्ष अगले दौर की बातचीत के लिए राजी हो गए थे। पर इस दौर की बातचीत में गतिरोध तभी आया था जब चीनी सेना भारतीय सेना को देपसांग और दमचोक में गश्त की ‘अनुमति’ देने को तैयार नहीं हुई थी क्योंकि चीनी सेना पैंगांग झील और हाट स्प्रिंग्स की तरह ही इन इलाकों में बफर जोन बनाना चाहती है।

विवाद के कारण भारतीय सेना नहीं कर पा रही गश्त

जानकारी के लिए चीनी सेना की मांग का मतलब है कि भारतीय भूमि के अंदर ही वह इलाका बनाना होगा जहां दोनों सेनाएं गश्त नहीं करेंगी। दरअसल चीनी सेना अभी भी इन दो स्थानों पर जमी हुई है। भारतीय जवान भी शून्य से 40 डिग्री के तापमान में आमने सामने हैं। विवाद के चलते भारतीय सेना इन इलाकों में गश्त नहीं कर पा रही है। यह गश्त वर्ष 2020 में उस समय रोक दी गई थी जब चीनी सेना ने लद्दाख के मोर्चे पर एलएसी के हजारों किमी इलाकों में ‘बढ़त’ हासिल करते हुए रातों रात अपने करीब एक लाख जवानों को सैनिक साजो सामान के साथ तैनात कर दिया था।

भारतीय पक्ष नहीं कर पा रहा है गश्त

वैसे हाट स्प्रिंग्स में अभी भी दोनों पक्षों ने बहुत ही कम सैनिक तैनात कर रखे हैं पर उनकी वापसी का मुद्दा 18वें दौर की बातचीत में आंशिक तौर पर सुलझ पाया था। सूत्रों के अनुसार, हाट स्प्रिंग्स में, इनकी संख्या 100 से 200 के बीच है। पर इतना जरूर था कि गलवान में हुई झड़प के बाद जुलाई 2020 में जब दोनों पक्षों में बातचीत हुई तो हाटस्प्रिंग्स, जिसे पैट्रोल प्वाइंट 15 भी कहा जाता है, दोनों पक्षों ने अपने 2 से 3 हजार सैनिकों को पीछे हटा लिया था। पर भारतीय पक्ष गश्त आरंभ नहीं कर पाया।

तीन सालों से गश्त नहीं

सिर्फ हाट स्प्रिंग्स अर्थात पीपी 15 ही नहीं बल्कि अन्य कई ऐसे इलाके भी हैं जहां फिलहाल भारतीय पक्ष तीन सालों से गश्त नहीं कर पा रहा है। इसके पीछे का कारण पहले चीनी सेना की आपत्ति थी फिर दोनों पक्षों में होने वाली ‘सहमति’ थी जिसके तहत उन इलाकों को बफर जोन्स बना दिया गया था जहां से दोनों पक्ष सैनिक हटाने को राजी हुए और बाद में वे मई 2020 के स्थानों पर लौट गए थे।

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