सीएम बोले- लोकतंत्र में हर कोई खुलकर बोल सकता है , फिर हिंसा भड़की, 3 के मिले शव

मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग : कुकी विधायकों के समर्थन में भाजपा के भी 7 विधायक उतरे

नई दिल्ली। मणिपुर पिछले 100 दिनों से चल रही हिंसा के बीच अब यहां अलग प्रशासन की मांग उठने लगी है। पिछले दिनों कुकी विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्वोत्तर राज्य के कुकी बहुल पहाड़ी इलाकों के लिए एक अलग प्रशानस यानी मुख्य सचिव और डीजीपी की मांग की थी। अब इसके समर्थन में भाजपा के 7 विधायक भी आ गए हैं और उन्होंनें भी यही मांग दोहराई है। इधर इसे लेकर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी कहा कि लोकतंत्र में हर कोई खुलकर बोल सकता है, सभी इसके हकदार हैं। वहीं मणिपुर में 12 दिन बाद फिर हिंसा भड़क गई। विभिन्न इलाकों में तीन शव पाए गए।

इसी बीच एनएससीएन ने मणिपुर के 8 नागा विधायकों की आलोचना की, जिन्होंने 32 मैतेई विधायकों के साथ मिलकर पीएम मोदी को पत्र लिखा। पत्र में कहा गया कि उनके ज्ञापन का नागा लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं है। हिंसा प्रभावित मणिपुर के 40 विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कुकी उग्रवादी समूहों के साथ युद्धविराम समझौते को वापस लेने और राज्य में एनआरसी लागू करने की मांग की है।

इन जिलों के लिए अलग प्रशासन की मांग?

बता दें कि बीजेपी के 7 विधायकों सहित 10 कुकी विधायकों ने पीएम मोदी को एक ज्ञापन सौंपकर अनुरोध किया है कि राज्य के पांच पहाड़ी जिलों चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, तेंगनौपाल और फेरज़ावल के कुशल प्रशासन के लिए अलग से मुख्य सचिव और डीजीपी के समकक्ष पद स्थापित किए जाएं।

देश को अस्स्थिर करने विदेशी साजिश : सीएम बीरेन सिंह

सद्भावना दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को स्वतंत्र रूप से बोलने का अधिकार है। सिंह ने कहा था कि कुछ गलतफहमियों, निहित स्वार्थों की कार्रवाइयों और देश को अस्थिर करने की विदेशी साजिश के कारण राज्य में कीमती जान-माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने सभी से हिंसा रोकने और राज्य में पहले की तरह शांति और तरक्की को वापस लाने का आग्रह किया। इस समारोह में कई विधायक मौजूद थे।

कुकी विधायकों ने रखी ये मांगें

कुकी विधायकों ने अपने ज्ञापन में दावा किया कि कुकी जनजातियों से संबंधित आईएएस, एमसीएस, आईपीएस और एमपीएस अधिकारी काम करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं। इसके साथ ही विधायकों ने प्रधानमंत्री राहत कोष से 500 करोड़ रुपये की भी मांग की है, जिससे हिंसा में अपने घर और आजीविका खो चुके लोग पुनर्स्थापित हो सकें।

विधायकों का दावा- अधिकारी काम करने में असमर्थ

कुकी विधायकों ने अपने ज्ञापन में दावा किया कि जनजातियों से संबंधित अधिकारी काम करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं। इसके साथ ही कुकी विधायकों ने लोगों के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से 500 करोड़ रुपये की भी मांग की है। इससे पहले 10 विधायकों ने पीएम मोदी से मणिपुर के आदिवासी इलाकों के लिए अलग प्रशासन बनाने का आग्रह किया था।

इंफाल नहीं जाना चाहते कुकी अधिकारी

बता दें कि केंद्र सरकार मणिपुर में कुकी समुदाय की मांग के आधार पर अलग प्रशासन स्थापित करने के मूड में नहीं है। वहीं, सत्तारूढ़ बीजेपी के 7 विधायकों सहित 10 विधायकों ने कुकी बहुल 5 जिलों के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी के समान पदों के सृजन की मांग की है, क्योंकि उनकी जनजाति का कोई भी सरकारी अधिकारी इंफाल वापस नहीं जाना चाहता है, उन्होंने कहा कि वह मौत की घाटी के रूप में तब्दील हो चुका है।

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