—-बारिश-भूस्खलन से 10 हजार से अधिक घरों को नुकसान
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खास बातें
7482 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान
214 लोगों की हिमाचल में अब तक मौत
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इंट्रो
पहाड़ों के रहवासी ‘जलप्रलय’ से जूझ रहे हैं। आसमानी आफत से हर तरफ हाहाकार मची है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं। पहाड़ दरक रहे हैं। हिमाचल में 24 जून से अब तक 214 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 38 लोग लापता हैं। आपदा से 10 हजार से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा है। अब तक 7482 करोड़ रुपए की निजी व सरकारी संपत्ति तबाह हो गई है।
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नई दिल्ली। हिमाचल और उत्तराखंड में मानसून का कहर जारी है। पहाड़ों पर इस बरसात में 7482 करोड़ रुपए की निजी व सरकारी संपत्ति तबाह हो गई है। बारिश से अकेले जल शक्ति विभाग की 1842.60 करोड़, पीडब्ल्यूडी की 2491.26 करोड़, बिजली बोर्ड की 1505.73 करोड़ रुपए की संपत्ति तबाह हुई है। पहाड़ों पर 1792 घर पूरी तरह और 8952 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस अवधि में सड़क दुर्घटना, ढांक से गिरने, भूस्स्खलन, फ्लैश फ्लड व बाढ़ की चपेट में आने से 327 लोगों की मौत, 318 लोग घायल और 38 व्यक्ति लापता है।
भारी बारिश के चलते चलते शिमला, सोलन समेत कई जिलों में लैंडस्लाइड हुई। शिमला में समर हिल, फगली और कृष्णानगर लैंडस्लाइड से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। राज्य में बारिश और लैंडस्लाइड से तीन दिन में 71 लोगों की मौत हुई है, जबकि 13 लोग लापता हैं। राज्य के बुनियादी ढांचे को बारिश-बाढ़ और लैंडस्लाइड से भारी नुकसान पहुंचा है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के काम को पहाड़ जैसी चुनौती बताया। हिमाचल प्रदेश के सीएम सुक्खू ने कहा, राज्य को इस मानसून में भारी बारिश के कारण करीब 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। बारिश और लैंडस्लाइड की वजह से बर्बाद हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में एक साल लगेगा। सीएम ने कहा, सड़कों और जल परियोजनाओं के पुनर्निर्माण में समय लगता है, लेकिन हम इस प्रक्रिया में तेजी ला रहे हैं।
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हिमाचल टूटा 50 साल का रिकॉर्ड
शिमला मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सुरिंदर पॉल ने बताया कि इस जुलाई में हिमाचल प्रदेश में दर्ज की गई बारिश ने पिछले 50 सालों के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। इससे पहले जुलाई में बारिश और बाढ़ ने हिमाचल के मंडी, कुल्लू, शिमला में भारी तबाही मचाई थी। इस तबाही में सैकड़ों सड़कों, ब्रिज और बुनियादी ढांचों को नुकसान पहुंचाया था।
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उत्तराखंड में भी बारिश का कहर
उत्तराखंड में भी मॉनसूनी बारिश कहर आफत बनकर बरसी है। मॉनसून आने के बाद से अब तक राज्य में 52 लोगों की मौत हुई है, जबकि 37 लोग जख्मी हुए हैं। 19 लोग लापता हैं। उत्तराखंड में 19 अगस्त तक कई जगहों पर येलो अलर्ट जारी किया गया है। लोगों को बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में बाहर न जाने की चेतावनी दी गई है। इतना ही नहीं हरिद्वार में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से बस थोड़ा नीचे रह गया है। ऋषिकेश में गंगा का पानी घाटों के किनारे स्थित इलाकों में भर गया।
शिमला में आंखों देखा हाल
बेटी ने पूछा- पापा, क्या हम भी मर जाएंगे
शिमला। स्वतंत्रता दिवस पर जब विनाशकारी बारिश ने कहर बरपाया, आसपास की जमीन धंसने लगी तो मेरी छह साल की बेटी ने पूछा, पापा, क्या हम भी मर जाएंगे, क्या हमारा घर भी टूट जाएगा। जोरदार आवाज सुनकर हमारा परिवार बाहर निकल आया। हमारे घर से बमुश्किल 100 मीटर की दूरी पर, एक नाले के पार एक पहाड़ी का किनारा खिसकने से चीख-पुकार मच गई। कुछ बहुमंजिला मकान, कुछ अस्थायी घर और एक बूचड़खाना मलबे के नीचे दब गए। जब कृष्णानगर इलाके में यह भूस्खलन हुआ तो हमारी बेटी पहले से ही परेशान थी। उसके स्कूल में नर्सरी और कक्षा दो में पढ़ने वाली दो लड़कियों की सोमवार को उस समय मौत हो गई थी, जब भूस्खलन के कारण समर हिल इलाके में एक शिव मंदिर ढह गया था। लेकिन हमारे लिए घर के पास हुआ भूस्खलन अधिक हृदय विदारक था, भले ही हताहतों की संख्या शिव मंदिर की तुलना में बहुत कम थी। कृष्णानगर के घरों में दरारें आनी शुरू हो गई थीं और ज्यादातर लोग घंटों पहले ही घर खाली कर चुके थे। कुछ मिनट बाद जब मैं घटनास्थल पर पहुंचा तो अपना घर खो चुके लोग चिल्ला रहे थे। एक महिला अपने पति की तलाश में नंगे पैर इधर-उधर भाग रही थी। बूचड़खाने में एक कर्मचारी अपने प्रबंधक की तलाश कर रहा था। बचावकर्मियों को लोगों को बचाने में काफी दिक्कत हो रही थी क्योंकि कीचड़ लगातार गिर रहा था। भूस्खलन से सहमे लोग जिनके घर अभी भी सही सलामत थे, वे वहां से जाने लगे और जो कुछ भी ले जा सकते थे, ले गए। एक छोटी लड़की ने एक बैग पकड़ा रखा था और वह सिसक रही थी। एक व्यक्ति अपनी बूढ़ी मां को अपने कंधों पर उठाकर ले गया। मैं खबर देने के लिए रवाना हो गया। मेरे घर-कार्यालय और शिमला के अन्य इलाकों में दो दिन से बिजली नहीं है और मैंने अपने फोन पर खबर लिखी। फोन को बार-बार कार में लगे चार्जर से चार्ज करना पड़ा। बाद में पुलिस के एक अधिकारी ने मुझे बताया कि मलबे से दो शव निकाले गए। उनमें से एक का सिर धड़ से अलग था। तीन दिन हुई बारिश से त्रस्त हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला तबाही की कहानी बयां कर रही है। अन्य जगहों पर भी भूस्खलन हुआ है। शहर गिरे हुए पेड़ों और टूटी हुई बिजली लाइनों से पटा हुआ है। सड़कों पर दरारें आ गई हैं और कई इमारतें खतरे में हैं।
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