अकेले चांद की सतह पर लैंड करेगा विक्रम, प्रोपल्शन मॉड्यूल इसरो को भेजेगा सिग्नल
–
1.68 किमी प्रति सेकंड होगी लैंडर विक्रम की रफ्तार
23 अगस्त को शाम 5:47 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे
14 दिन तक पानी की खोज सहित अन्य प्रयोग करेंगे
बेंगलुरु। भारत का चंद्रयान-3 धीरे-धीरे चांद की तरफ बढ़ रहा है। 17 अगस्त को यान के प्रोपल्शन मॉड्यूल ने विक्रम लैंडर को अलग कर दिया है। विक्रम लैंडर को यान से अलग करने के बाद अब प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद के चारों ओर चक्कर लगाएगा और लैंडर से मिले सिग्नल इसरो को भेजता रहेगा। वहीं, विक्रम अब मिशन में अकेले ही चांद की सतह पर लैंड करने की कोशिश करेगा। इसरो ने 23 अगस्त 2023 को विक्रम की चांद पर लैंडिग की तारीख तय की है। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल सफलतापूर्वक अलग हो गए हैं। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल अब कक्षा में और नीचे आने के लिए तैयार है, जिससे यह चंद्रमा की सतह के और करीब पहुंच जाएगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ 23 अगस्त को होने की उम्मीद है। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, लैंडर मॉड्यूल ने कहा, यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त। लैंडर मॉड्यूल, प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। कल (शुक्रवार) लैंडर मॉड्यूल के भारतीय समयानुसार शाम करीब चार बजे डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की कक्षा में थोड़ा और नीचे आने की संभावना है।” इसरो के सूत्रों ने कहा कि बृहस्पतिवार को प्रणोदन मॉड्यूल से अलग हुए लैंडर को एक ऐसी कक्षा में लाने के लिए ‘डीबूस्ट’ (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजारा जाएगा, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी की दूरी पर होगा, जहां से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया जाएगा। इस बीच, इसरो ने यह भी कहा कि प्रणोदन मॉड्यूल वर्तमान कक्षा में अपनी यात्रा महीनों/वर्षों तक जारी रखेगा। चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की आज की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, ताकि यह चंद्र सतह के नजदीक आ सके। अब 23 अगस्त को चांद पर इसकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने का प्रयास किया जाएगा। इससे पहले, 14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया था। गत एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया। चंद्रयान-1 के परियोजना निदेशक एम अन्नादुरई ने कहा, यह एक महान क्षण है और इससे पता चलेगा कि लैंडर कैसा प्रदर्शन कर रहा है तथा इसे चंद्रमा के और करीब लाया जाएगा। फिर इसे आवश्यक कमान दी जाएगी जिससे कि यह संकेत प्राप्त करते हुए 23 अगस्त को लक्षित स्थान तक पहुंचे और सुरक्षित लैंडिंग करे।
–मील के पत्थर को पार किया
चंद्रयान-1 के परियोजना निदेशक एम अन्नादुरई ने कहा, यह शुरुआत है और आगे की सभी चीजों को बहुत सावधानी से देखना होगा। हमने प्रक्षेपण यान और उसके बाद प्रणोदन प्रणाली (पृथक्करण) से प्रमुख मील के पत्थर को पार कर लिया है। अब वास्तव में मैच शुरू होता है। ये अंतिम ओवर हैं जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह एक महान क्षण है। पूरी दुनिया यह देखने के लिए इंतजार कर रही है कि विक्रम क्या करेगा और प्रज्ञान बाहर आकर क्या करेगा। मैं भी उत्साहपूर्वक इंतजार कर रहा हूं।
–
अब आगे क्या होगा
चंद्रयान -3 मिशन के आगामी चरणों में ऑनबोर्ड उपकरणों को सक्रिय करना और मान्य करना शामिल है, जिसमें तीन महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पेलोड शामिल हैं। इनमें से पहला चरण लैंडर को चंद्रमा से 100गुना100 किमी ऊपर एक गोलाकार कक्षा में स्थापित करना शामिल है। इसके बाद, जटिल प्रक्रिया के तहत लैंडर को चांद के और करीब लाया जाएगा, जिसमें लैंडर की चांद से दूरी 100गुना30 किमी रह जाएगी। यह चांद की वो कक्षा है, जब विक्रम लैंडर 23 अगस्त को लैंडिंग करना शुरू करेगा। इसरो ने इसके लिए अनुमानित समय शाम 5.47 का अनुमान लगाया है।
—
प्रोपल्शन मॉड्यूल क्या करेगा?
विक्रम लैंडर तो चांद पर लैंडिंग करेगा लेकिन, प्रोपल्शन मॉड्यूल का क्या काम होगा? दरअसल, चांद की कक्षा में विक्रम लैंडर को 100 किलोमीटर ऊपर से छोड़ने के साथ ही यह लैंडर से संचार स्थापित रखने के लिए चक्कर लगाता रहेगा। इसके अलावा लैंडर से डेटा कलेक्ट कर जमीन पर इसरो को भी भेजता रहेगा।
—
विक्रम और रोवर क्या करेंगे?
चांद पर सफल लैंडिंग के साथ ही इसरो की अपनी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और अंतरग्रहीय उद्यमों के लिए और रास्ते खोलना है। इसमें अभिन्न घटक शामिल हैं – एक लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर। मिशन विक्रम लैंडर का मुख्य उद्देश्य चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है, जिससे रोवर की तैनाती आसान हो सके। वहीं, रोवर, घूमते हुए चंद्रमा की सतह का महत्वपूर्ण इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर चंद्रमा पर महत्वपूर्ण प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड से लैस हैं।
000

