‘ गुलामी का संदेश देने के लिए भीड़ ने किया गैंगरेप

  • मणिपुर हिंसा : नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्य ऐसे अपराध रोकने के लिए बाध्य

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं पर हुए गंभीर अत्याचार पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि हिंसक भीड़ दूसरे समुदाय को गुलामी का संदेश देने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल कर रही है और राज्य किसी भी तरह ऐसे अपराध को रोकने के लिए बाध्य है। इसके साथ ही देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने द्वारा गठित हाईकोर्ट के रिटायर जजों की तीन सदस्यीय समिति को आदेश दिया कि वो 4 मई से मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसक सभी घटनाओं की गहनता से जांच करे। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि महिलाओं को यौन अपराधों और हिंसा का शिकार बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह गरिमा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता के संवैधानिक मूल्यों का गंभीर उल्लंघन है। मालूम हो कि 3 मई को मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़की थी। उसके बाद से अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं। इसी दौरान, दो महिलाओं के साथ गैंगरेप का एक वीडियो वायरल हुआ था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच ने कहा, “भीड़ आमतौर पर कई कारणों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सहारा लेती है, जिसमें एक तथ्य यह भी है कि यदि वे किसी बड़े समुदाय से हैं तो वे अपराधों के लिए तय सजा से बच सकते हैं। सांप्रदायिक हिंसा के समय भीड़ गुलामी का संदेश भेजने के लिए यौन हिंसा करती है। संघर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ इस तरह की हिंसा अत्याचार के अलावा और कुछ नहीं है। यह राज्य का परम कर्तव्य है कि वो इस तरह की हिंसा के खिलाफ प्रभावी कार्य करते हुए ऐसी घटनाओं पर रोक लगाये।’ कोर्ट ने कहा कि पुलिस के लिए जरूरी है कि वो आरोपी की यथाशीघ्र पहचान करें और उनकी गिरफ्तार करके जांच की प्रक्रिया को जल्द से जल्द समाप्त करने की दिशा में सहयोग करें। सीजेआई की पीठ ने आगे कहा, “ऐसे जल्द से जल्द किया जाना चाहिए ताकि आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ या उन्हें नष्ट न कर सकें। इसके अलावा आरोपी गवाहों को डराने और भागने का भी प्रयास कर सकते हैं।”

इसलिए कर रहे मणिपुर मामले में हस्तक्षेप

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांप्रदायिक संघर्ष के कारण मणिपुर में केवल आवासीय संपत्ति बल्कि पूजा स्थलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। इस कारण कोर्ट को बाध्य होकर अपना संवैधानिक दायित्व निभाने के लिए कदम उठाना पड़ रहा है। इसके साथ कोर्ट ने कहा कि वो मणिपुर हिंसा में इस कारण से हस्तक्षेप कर रहे हैं कि ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। अदालत की ओर से जो भी उपाय किये गए हैं, जिससे उम्मीद है कि सभी समुदायों से समान रूप से व्यवहार किया जाएगा और सभी लोगों के साथ न्याय किया जाएगा, जो सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित हुए हैं।

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