देश की 6500 दवा फैक्टरियां मानक पर खरी नहीं!

जीएमपी प्रमाणपत्र के लिए कंपनियों को 12 माह का समय

नई दिल्ली। देश में 10,500 दवा फैक्टरियों में 8,500 फैक्टरियां एमएसएमई श्रेणी के तहत आती हैं, लेकिन इनमें से केवल दो हजार फैक्टरियों के पास ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अच्छी विनिर्माण प्रथाएं प्रमाणपत्र मौजूद है। 6,500 दवा फैक्टरियों के पास यह प्रमाणपत्र नहीं है। दवाओं की बेहतर गुणवत्ता के लिए यह प्रमाण होना बहुत जरूरी है। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने बुधवार को दी। अधिकारियों का कहना है कि विश्व स्तर पर स्वीकार्य गुणवत्ता वाली दवा का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए जीएमपी अधिनियम में संशोधन करने का फैसला लिया। मंत्रालय ने बताया कि नियमों में संशोधन के बाद अब दो श्रेणी में दवा कारोबार को रखा गया है। इनमें से एक श्रेणी 250 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियों का है, जिन्हें छह माह और 250 करोड़ से कम का कारोबार करने वाली कंपनियों की श्रेणी में 12 माह बाद फिर से जीएमपी प्रमाणपत्र लेने का नियम बनाया गया है।

पाई गईं खामियां

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश की दवा फैक्टरियों में कच्चे उत्पाद का परीक्षण करने के अलावा योग्य कर्मचारियों की कमी है। मंत्रालय के अनुसार, अब तक 162 निजी फैक्टरियों और 14 सरकारी प्रयोगशालाओं का निरीक्षण किया। इस दौरान टीम को निरीक्षण में खराब दस्तावेजीकरण, प्रक्रिया और विश्लेषणात्मक सत्यापन की कमी, स्व-मूल्यांकन की अनुपस्थिति, गुणवत्ता विफलता जांच की अनुपस्थिति, आंतरिक उत्पाद गुणवत्ता समीक्षा की अनुपस्थिति, कच्चे माल के परीक्षण की अनुपस्थिति, क्रॉस-से बचने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी के अलावा पेशेवर रूप से योग्य कर्मचारियों की काफी कमी पाई गई है।

दवा कारोबार बढ़ाने में मिलेगी मदद

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, संशोधित जीएमपी को लेकर मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने का फैसला लिया है। इससे दस्तावेजीकरण, विफलता जांच और योग्य कर्मियों से संबंधित अधिकांश कमियां दूर हो जाएंगी। यह कंपनी में मजबूत गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के विकास का समर्थन करेगा। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय दवा का व्यवसाय बढ़ाने में मदद भी मिलेगी।

इधर, कफ सिरप बनाने वाली कंपनी सील

कैमरून में भारत निर्मित कफ सिरप पीने से छह बच्चों की मौत के मामले में केंद्र सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मध्य प्रदेश में कफ सिरप बनाने वाली कंपनी को तत्काल दवा उत्पादन बंद करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद राज्य सरकार के औषधि नियंत्रक विभाग ने कंपनी की फैक्टरी को सील कर मुकदमा दर्ज कराया है। पिछले माह अफ्रीकी देश कैमरून में भारत निर्मित कफ सिरप पीने से छह बच्चों की कथित तौर पर मौत होने का मामला सामने आया था। इसे लेकर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की टीम ने मध्य प्रदेश स्थित रीमैन लैब्स कंपनी की फैक्टरी में निरीक्षण किया। संबंधित बैच से जुड़ी दवाओं की केंद्रीय प्रयोगशाला में जांच कराई और रिपोर्ट के आधार पर कंपनी के खिलाफ उत्पादन बंद करने का आदेश दिया।

भारत में निर्मित कफ सिरप की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करने का यह चौथा मामला है। जिसके चलते ‘दुनिया की फार्मेसी’ के रूप में भारत की छवि को नुकसान पहुंचा। इसके बाद सरकारी एजेंसियों ने दवा कंपनियों पर निगरानी बढ़ा दी है। इसी के बाद यह कार्रवाई हुई है।

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