मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, 17 घायल, इंफाल में लगा कर्फ्यू

—मैतई महिलाओं की सशस्त्र बलों से झड़प, आंसू गैस के गोले छोड़े, फायरिंग

–कुकी-जोमी समुदाय के 35 शवों का नहीं हो सका अंतिम संस्कार

इंट्रो

मणिपुर में 3 मई को भड़की हिंसा को तीन महीने हो गए हैं, लेकिन पूर्वोत्तर राज्य अभी भी हिंसा की आग में झुलस रहा है। इस बीच, मणिपुर के विष्णुपुर में हिंसा हो गई। यहां सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय की महिलाओं के बीच हिंसक झड़प हुई। स्थिति को कंट्रोल करने के लिए सशस्त्र बलों को आंसू गैस के गोले और हवाई फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें 17 लोग घायल हो गए। इधर, कुकी-जोमी समुदाय के 35 शवों को दफनाया नहीं जा सका।

इंफाल। कुकी समुदाय ने गुरुवार सुबह 11 बजे हिंसा में मारे गए लोगों के शवों को चुराचांदपुर के टोइबुंग शांति मैदान में दफनाने की बात कही थी। मैतेई समुदाय को कुकी लोगों के शव शांति मैदान में दफनाने से ऐतराज था। इसके विरोध में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने गुरुवार सुबह बिष्णुपुर के थोरबुंग गांव की ओर कूच कर दिया। थोरबुंग में कुकी और मैतेई इलाके के बीच का बफर जोन है। मैतेई महिलाओं ने बफर जोन को पारकर कुकी इलाके में घुसने की कोशिश की। सुरक्षाबलों ने उन्हें रुकने के लिए कहा। मैतेई महिलाएं नहीं मानीं, भीड़ को तितर-बितर करने के लिए असम राइफल्स ने जवाबी कार्रवाई में हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले दागे।

इस बीच, मणिपुर हाईकोर्ट ने जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी समुदाय के लोगों के शव सामूहिक रूप से दफनाए जाने के निर्धारित समय से कुछ घंटों पहले चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। इस बीच, कुकी-जोमी समुदाय के संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने भी कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुरोध के बाद अंत्येष्टि कार्यक्रम को सात दिनों के लिए स्थगित कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि वहीं सभाओं पर प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए एक जुलूस को प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल की ओर बढ़ने से रोकने के लिए बृहस्पतिवार को बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ इलाकों में सेना तथा आरएएफ कर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। उन्होंने बताया कि इस दौरान झड़प में 17 लोग घायल हो गए। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी दोनों संघर्षरत समुदायों- कुकी और मेइती- से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की और कहा कि केंद्र मणिपुर में जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के मुद्दे पर गंभीर है।

दो पुलिकर्मी घायल, चौकी से लूटा हथियार

इंफाल पश्चिम जिले के सेनजम चिरांग में हुई गोलीबारी में मणिपुर राइफल्स के एक पुलिसकर्मी समेत दो लोग घायल हो गए। एक अन्य घटनाक्रम में, बदमाशों ने बिष्णुपुर जिले के नारानसेना में दूसरी भारतीय रिजर्व बटालियन चौकी से हथियार और गोला-बारूद लूट लिए। उपद्रवियों के एक अन्य समूह ने इंफाल में द्वितीय मणिपुर राइफल्स परिसर से हथियार और गोला-बारूद लूटने का प्रयास किया, लेकिन उस शिविर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के कई गोले दागकर इस प्रयास को विफल कर दिया।

कर्फ्यू में ढील वापस

इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट के जिला मजिस्ट्रेट ने एहतियाती कदम के तौर पर पहले घोषित कर्फ्यू में ढील को वापस ले लिया। वहीं समूची इंफाल घाटी में रात का कर्फ्यू जारी है। आईटीएलएफ के मीडिया संयोजक गिंजा वुआलजोंग ने संवाददाताओं को बताया, हमने एक नए घटनाक्रम के कारण कल रात से सुबह चार बजे तक बैठक की।

अब तक 160 से ज्यादा की मौत

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

सुबह से था तनाव, सड़कों पर महिलाएं

बिष्णुपुर जिले में सुबह से ही तनाव व्याप्त था, क्योंकि सैकड़ों स्थानीय लोग अंत्येष्टि स्थल की ओर जाने और सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों पर निकल आए थे। महिलाओं के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने सेना और आरएएफ कर्मियों द्वारा लगाए गए बैरिकेड को पार करने की कोशिश की थी, और मांग की कि उन्हें अंत्येष्टि स्थल तुइबुओंग तक जाने की अनुमति दी जाए। सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे लोग घायल हो गए।

00

प्रातिक्रिया दे