मणिपुर हिंसा : राज्य पुलिस जांच करने में सक्षम नहीं, डीजीपी को पेश होने का आदेश

-सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगे बिंदुवार जवाब

  • जांच के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जजों की बनाई जाएगी कमेटी

-सीजेआई ने कहा- एफआईआर दर्ज करने में काफी देर हुई

  • सात अगस्त को होगी मामले की अगली सुनवाई

नई दिल्ली। मणिपुर में हो रहीं हिंसा को लेकर मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सीजेआई ने इस दौरान हाईकोर्ट के पूर्व जजों को कमेटी बनाने की बात कही जो नुकसान, मुआवजे, पीड़ितों के 162 और 164 के बयान दर्ज करने की तारीखों आदि का ब्योरे लेगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि ‘हम ये भी देखेंगे कि सीबीआई को कौन कौन से मुकदमे-एफआईआर जांच के लिए सौंपे जाएं। सरकार इस बात का हल सोच कर हमारे पास आए। सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्य पुलिस जांच करने में सक्षम नहीं है, वह नियंत्रण खो चुकी है, वहां कानून-व्यवस्था बिल्कुल नहीं है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य में हुई घटनाओं के बाद एफआईआर दर्ज करने में काफी देर हुई। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि मणिपुर के डीजीपी अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहेंगे और अदालत को जवाब देंगे।

सीजेआई ने कहा कि हम इस कमेटी का दायरा तय करेंगे, जो वहां जाकर राहत और पुनर्वास का जायजा लेगी। हम इस तथ्य के बारे में स्पष्ट हैं कि 6500 एफआईआर की जांच सीबीआई को सौंपना असंभव है। वहीं, राज्य पुलिस को इसका जिम्मा नहीं सौंपा जा सकता। तो हम क्या करें? उस पर विचार करना होगा। सीजेआई ने कहा कि मणिपुर में मरने वाले सभी हमारे अपने थे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अभी भी कई शव मोर्चरी में हैं जिनके बारे में कोई भी दावेदार नहीं आया है। इन सारे तथ्यों और दलीलों के बाद मणिपुर मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार सात अगस्त को होनी तय हुई है। इस दौरान डीजीपी को हाजिर होना होगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में कई तथ्यों को रखा गया तो साथ ही कोर्ट की ओर से कई सवाल भी आए। सीजेआई ने कहा कि, ‘हमें सीबीआई से जानना होगा कि सीबीआई के बुनियादी ढांचे की सीमा क्या है, साथी ही क्या वह ये जांच कर सकती है।

कब हुए मामले, कब हुई एफआईआर, कब दर्ज हुए बयान?

आदेश लिखाते हुए सीजेआई ने कहा राज्य में 150 लोगों की हत्या हुई। तीन से पांच मई के बीच 59 लोग मारे गए। नौ जून को 13 लोग मारे गए, 502 घायल हुए। 5101 मामले आगजनी के हैं। राज्य में 6523 एफआइआर दर्ज कर 252 लोग गिरफ्तार किए हैं। 12740 लोग प्रिवेंटिव डीटेंशन के तहत गिरफ्तार किए गए।

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इन बिंदुओं जिस पर कोर्ट को चाहिए विस्तृत रिपोर्ट

इसके साथ ही अगली सुनवाई में कोर्ट ने मणिपुर पुलिस महानिदेशक को कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट उनसे सीधे सवाल पूछेगी। एफआईआर के विभाजन, एफआईआर दर्ज करने, बयान दर्ज करने, गिरफ्तारी आदि की जानकारी ली जाएगी। सीजेआई ने कहा कि हमें पूरे और विस्तृत आंकड़ों वाला एक नोट तैयार करके अगली तारीख पर कोर्ट को बताएं, जिसमें ये सभी जानकारी हो. इसके लिए कोर्ट ने रिपोर्ट के 6 बिंदु भी अपनी तरफ से बताए हैं।

  1. घटना की तारीख
  2. जीरो एफआईआर दर्ज करने की तारीख
  3. नियमित एफआईआर दर्ज करने की तारीख
  4. वह तारीख जिस दिन गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं
  5. किस दिन सीआरपीसी की धारा 164 के तहत कोर्ट के सामने बयान दर्ज किये गये
  6. गिरफ़्तारी की तारीख

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