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— —विपक्षी दलों के 21 सांसदों ने राज्यपाल अनसुईया उइके को सौंपा ज्ञापन
—-सांसदों ने कहा-जातीय हिंसा पर जल्द समाधान न निकला तो देश की सुरक्षा पर खतरा
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इंट्रो
मणिपुर में हिंसा थम नहीं रही है। हालात का जायजा लेने विपक्षी गठबंधन दल ‘इंडिया’ पहुंचा। दो दिनों तक राहत शिविरों से पीड़ितों का दर्द जाना। रविवार को राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात की। विपक्षी सांसदों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर कहा कि मणिपुर पर तुरंत एक्शन जरूरी है, नहीं तो देश की सुरक्षा पर खतरा हो सकता है। विपक्ष दलों ने सरकार पर भी जमकर निशाना साधा।
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इंफाल। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) ने रविवार को कहा कि अगर मणिपुर में करीब तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष को जल्द हल नहीं किया जाता है, तो इससे देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के 21 सांसदों ने मणिपुर का दौरा करने के बाद राजभवन में राज्यपाल अनसुईया उइके से मुलाकात की और उन्हें पूर्वोत्तर राज्य के मौजूदा हालात पर एक ज्ञापन सौंपा। बैठक के बाद राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, राज्यपाल ने हमारी बातें सुनीं और उन पर सहमति जताई। उन्होंने हिंसा पर दुख जताया और लोगों की पीड़ा बताई। चौधरी ने कहा, राज्यपाल ने कहा कि मेइती तथा कुकी समुदायों के बीच अविश्वास खत्म करने के लिए सभी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल को उनसे बातचीत करने के लिए मणिपुर का दौरा करना चाहिए।” उन्होंने बताया कि सांसदों ने मणिपुर में जो स्थिति देखी, उसके बारे में संसद में एक रिपोर्ट पेश करेंगे और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे। चौधरी ने कहा, हम मणिपुर में राज्य तथा केंद्र सरकार की चूक पर संसद में बोलेंगे। हम केंद्र सरकार से संसद में इस मुद्दे पर चर्चा कराने की अपील करते हैं। उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।
दो दिवसीय दौरे के अपने अनुभव के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि ऐसे हालात बन गए हैं कि घाटी के लोग (मेइती) पर्वतीय क्षेत्र में नहीं जा सकते जहां कुकी रहते हैं और पर्वतीय क्षेत्र के लोग घाटी में नहीं आ सकते हैं। उन्होंने कहा, राशन, चारा, दूध, बच्चों के भोजन और अन्य आवश्यक सामान की भारी किल्लत है। छात्रों की शिक्षा पर भी असर पड़ा है। हमने राज्यपाल को ये सभी बातें बताई हैं जिन्होंने कहा कि इन मुद्दों को मिलकर हल किया जाना चाहिए।
विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल दोपहर को दिल्ली के लिए रवाना हो गया। वे जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए शनिवार को मणिपुर पहुंचे थे तथा हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात की थी। दो-दिवसीय दौरे के पहले दिन प्रतिनिधिमंडल इंफाल के अलावा बिष्णुपुर जिले के मोइरांग और चुराचांदपुर में कई राहत शिविरों में गया तथा जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में अधीर और लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई के अलावा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की महुआ माजी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के पीपी मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन और वीसीके से टी. तिरुमावलावन एवं डी रविकुमार भी शामिल रहे। जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल प्रसाद हेगड़े, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संदोश कुमार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के ए ए रहीम, सपा के जावेद अली खान, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर, आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अरविंद सांवत भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
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अधीर बोले- सरकारों ने आंखें बंद कर ली हैं
मणिपुर से लौटने के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही मणिपुर के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठा रही हैं। दो समुदायों के बीच लड़ाई को खत्म करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं। दिल्ली और यहां तक कि देश के बाहर भी बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं। लोगों के घरों में खाना और दवाइयां नहीं हैं, बच्चों के पास कोई सुविधा नहीं है। पढ़ाई के लिए, कॉलेज के छात्र कॉलेज नहीं जा सकते।
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संसद में करेंगे चर्चा
मणिपुर से लौटने के बाद, आईयूएमएल सांसद ई.टी. मोहम्मद बशीर ने कहा, वहां की स्थिति वास्तव में बहुत खराब है। लोग पीड़ित हैं। हम अपने सभी निष्कर्षों को पेश करेंगे और हम संसद में उस पर चर्चा करेंगे। हमारी यात्रा सार्थक थी और हम जमीनी हकीकत को समझने में सक्षम थे। हमने राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें एक विस्तृत ज्ञापन दिया, हमने अपील की कि सामान्य स्थिति बहाल की जानी चाहिए।
राहत शिविरों में जाकर सुना पीड़ितों का दर्द
विपक्षी गुट के सांसदों ने कहा कि हमने कई इलाकों का दौरा किया। यह हम सभी के लिए कठिन दिन रहा है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि हम चार राहत शिविरों में गए और लोगों का दर्द सुना। महिलाएं यह बताते हुए रो पड़ीं कि कैसे उन पर हमला किया गया। गोगोई ने कहा कि हम लोग संसद में इस दौरे में सामने आई डरावनी कहानियों को उठाएंगे।
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जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा की मौत
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पूर्वोत्तर राज्य की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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तीन केंद्रशासित प्रदेश बनाने का सुझाव
कुकी नेता और भाजपा विधायक पाओलीनलाल हाओकिप ने सुझाव दिया है कि हिंसा रोकने के लिए मणिपुर में 3 अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिए जाएं। हालांकि मणिपुर सरकार इस तरह के फॉर्मुलेशन के खिलाफ है।
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