आपको किसी पर भरोसा नहीं तो फैसले को कैसे मानेंगे

ज्ञानवापी पर मुस्लिम पक्ष से बोले जस्टिस

नई दिल्ली। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे के खिलाफ दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर खुद हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों को सुन रहे हैं। एएसआई के सर्वे पर रोक लगाने की मांग करते हुए मुस्लिम पक्ष ने कहा कि उसे डर है कि ऐतिहासिक संरचना गिर सकती है। यह भी कहा कि एएसआई के आश्वासन पर उसे भरोसा नहीं है। इस पर चीफ जस्टिस की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया हुई। उन्होंने कहा कि जब आप किसी पर भरोसा नहीं करते हैं, तो हमारे फैसले पर कैसे भरोसा करेंगे? कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की इस दलील पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी कि अगर ढांचा गिरा तो हिंदू पक्ष के वकील जिम्मेदार होंगे।वहीं, हिंदू पक्ष ने मस्जिद को किसी नुकसान से इंकार किया। इस पर चीफ जस्टिस ने वाराणसी में सर्वे कर रहे एएसआई के अधिकारियों को तलब करते हुए इस बारे में हलफनामा देने को कहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले पर सुनवाई करते हुए सर्वे को बुधवार की शाम तक रोकते हुए हाईकोर्ट को इस मामले को भी बुधवार की शाम तक निपटाने और फैसला देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मंगलवार की देर शाम तक दोनों पक्षों को सुना और बुधवार की सुबह से ही सुनवाई शुरू कर दी है।

ज्ञानवापी समिति की याचिका बहाल की

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी समिति की उस याचिका को बुधवार को बहाल कर दिया, जिसका उसने मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के काम पर रोक लगाते समय 24 जुलाई को अनजाने में निपटारा कर दिया था। एएसआई यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण कर रहा था कि क्या मस्जिद का निर्माण वहां पहले मौजूद किसी मंदिर पर किया गया है। सीजेआई पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुफेजा अहमदी के अभ्यावेदनों का संज्ञान लिया।

सर्वे पर जारी रहेगी रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण मामले में गुरुवार को भी सुनवाई करेगा। तब तक सर्वे पर रोक लगी रहेगी। कोर्ट इस मामले में गुरुवार अपराह्न साढ़े तीन बजे सुनवाई करेगी। इस मामले में दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस प्रितिंकर दिवाकर ने मामले में आगे की सुनवाई बृहस्पतिवार को जारी रखने का आदेश दिया।

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