–पीएम के बयान पर ‘इंडिया’ अड़ा, सरकार ने नहीं मानी बात
–कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने पेश किया अविश्वास प्रस्ताव
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मणिपुर हिंसा पर सरकार के खिलाफ विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। कांग्रेस पार्टी के सदस्य रंजन गोगोई द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव पर बहस के लिए मंजूरी मिल गई है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तारीख के बारे में जानकारी देंगे।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिस पर चर्चा के लिए सदन ने मंजूरी भी दे दी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि तय करेंगे। मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से संसद के भीतर जवाब मांग रहे विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की ओर से कांग्रेस ने इस रणनीति के साथ यह कदम उठाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में बोलने के लिए बाध्य किया जा सके। निचले सदन में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई द्वारा पेश इस प्रस्ताव को लोकसभा ने चर्चा के लिए स्वीकृति प्रदान की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तिथि के बारे में अवगत कराएंगे। विगत नौ वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा जब मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने मत दिया था। इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में है। लोकसभा की 543 सीटों में से पांच अभी रिक्त हैं। इनमें से 330 से अधिक सांसद भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अन्य घटक दलों के हैं। कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के उसके साथी दलों के सदस्यों की संख्या 140 से अधिक है। करीब 60 सांसदों का संबंध उन दलों से है जो दोनों गठबंधनों का हिस्सा नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि देश के लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा में पूरा विश्वास है। उन्होंने कहा, विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी जी के पिछले कार्यकाल में भी यही किया था और जनता ने उसे सबक सिखाया था। इस बार फिर देश की जनता इन लोगों को सबब सिखाएगी।
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मेघवाल बोले- सरकार तैयार
संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार तैयार है। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने अविश्वास प्रस्ताव से जुड़े नोटिस का उल्लेख करते हुए कहा, मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है। कृपया आप (गोगोई) सदन की अनुमति प्राप्त करें। इसके बाद गोगोई ने कहा, मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं-यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है।
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लोकसभा अध्यक्ष ने दी इजाजत
लोकसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव की अनुमति देने का समर्थन करने वाले सदस्यों से अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहा। इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य खड़े हो गए। इसके बाद बिरला ने कहा, इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है। मैं सभी दलों के नेताओं से चर्चा करके उचित समय पर इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि के बारे में आप लोगों को अवगत करा दूंगा।
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क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
संसदीय लोकतंत्र में कोई भी सरकार तभी तक सत्ता में रह सकती है, जब तक उसके पास निर्वाचित सदन (लोकसभा) में बहुमत है। लोकसभा का कोई भी सदस्य, जो अविश्वास प्रस्ताव के लिए 50 सांसदों का समर्थन जुटा लेता है, वो कभी भी मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को मंजूरी मिलने के बाद संसद में इस पर चर्चा होती है।
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क्या मोदी सरकार पर कोई खतरा?
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला था। भाजपा के 303 सांसद हैं। एनडीए के सांसदों को संख्या 331 है जबकि विपक्ष के इंडिया गठबंधन के पास 150 से भी कम सांसद हैं। अगर बीआरएस, वाइएसआर कांग्रेस और बीजद के सांसदों को मिला भी दिया जाए तो भी यह संख्या एनडीए से कम है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय है।
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इधर, शाह पर भड़के खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गृह मंत्री अमित शाह के 25 जुलाई के पत्र का जवाब दिया है। उन्होंने पत्र लिखकर कहा कि केंद्र सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है। खड़गे ने लिखा- अमित शाह जी, जिस दिन पीएम ने विपक्षी दलों को अंग्रेज शासकों और आतंकवादी दल से जोड़ा, उसी दिन गृहमंत्री ने भावनात्मक पत्र लिखकर विपक्ष से सकारात्मक रवैया अपनाने को कहा। दरअसल, शाह ने मंगलवार को खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को पत्र लिखकर कहा था कि सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए विपक्ष को अनुकूल माहौल बनाना होगा।
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