केंद्रीय अस्पतालों को केवल जेनेरिक दवाएं लिखने का निर्देश

-संसद में स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने दी जानकारी

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि सरकार का लक्ष्य आम आदमी की जेनेरिक दवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए मार्च तक 10,000 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) खोलने का है। उन्होंने बताया कि 30 जून तक देशभर में 9,512 पीएमबीजेके खोले जा चुके हैं। सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 में कहा गया है कि प्रत्येक चिकित्सक को स्पष्ट रूप से और विशेषकर बड़े अक्षरों में जेनेरिक नाम वाली दवाएं लिखनी चाहिए। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने सभी केंद्र संचालित अस्पतालों को केवल जेनेरिक दवाएं लिखने का निर्देश दिया है। इसी तरह के निर्देश सभी सीजीएचएस डॉक्टरों और वेलनेस सेंटरों को भी जारी किए गए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मुफ्त दवा पहल के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में आवश्यक जेनेरिक दवाओं के मुफ्त प्रावधान के लिए सहायता प्रदान की जाती है। पीएमबीजेपी योजना को बढ़ावा देने के लिए फार्मास्यूटिकल्स विभाग और भारत का फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण ब्यूरो (पीएमबीआई), योजना की कार्यान्वयन एजेंसी, समय-समय पर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों और जिला प्रशासनों से योजना के बारे में जागरूकता पैदा करने और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी अस्पतालों में जनऔषधि केंद्र खोलने के लिए किराया मुक्त स्थान प्रदान करने का अनुरोध करती है।

दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित

उन्होंने यह भी कहा कि सीडीएससीओ और स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई नियामक उपाय किए हैं। नकली और मिलावटी दवाओं के निर्माण के लिए कड़े दंड का प्रावधान करने के लिए औषधि और प्रसाधन सामग्री (संशोधन) अधिनियम 2008 के तहत औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 में संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती भी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत अपराधों के त्वरित निपटान के लिए विशेष अदालतें स्थापित की हैं।

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