चांद फतह करने निकला ‘बाहुबली’ चंद्रयान-3, अंतरिक्ष में भारत ने रचा इतिहास

श्रीहरिकोटा। भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष में इतिहास रचने का जुनून दिखाया है। भारत के तीसरा मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ को शुक्रवार की दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये मिशन करीब 42 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। ‘चंद्रयान-3’ को भेजने के लिए एलवीएम-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया। इसे पहले जीएसएलवी एमके -3 के नाम से जाना जाता था. इसी रॉकेट से स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था।

इसरो ने बताया कि लॉन्चिंग के 16 मिनट बाद प्रक्षेपण माड्यूल रॉकेट से अलग हो गया। एलवीएम3-एम4 रॉकेट अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है जिसे वैज्ञानिक ‘फैट बॉय’ कहते हैं। ये मिशन एलवीएम3 की चौथी अभियानगत उड़ान है जिसका उद्देश्य ‘चंद्रयान-3’ को भू-समकालिक कक्षा में पहुंचाना है। इसरो ने कहा कि एलवीएम3 रॉकेट ने कई उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में अपनी विशिष्टता साबित की है। यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ग्राहक उपग्रहों को ले जाने वाला सबसे बड़ा और भारी प्रक्षेपण यान भी है।

क्या-क्या जानकारी एकत्रित करेगा चंद्रयान

इसरो का चंद्रयान-3 मिशन चांद के अज्ञात स्थलों की जानकारी देगा। रासायनिक तत्व और पानी-मिट्टी की खोज करेगा। इसके अलावा चंद्रयान-3 चांद पर बहुमूल्य धातु का पता लगाएगा। चंद्रयान-3 की चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी। रोवर को चंद्रमा की सतह पर चलाना लक्ष्य है। चंद्रमा पर मौजूद तत्वों का वैज्ञानिक परीक्षण चंद्रयान-3 करेगा।

दक्षिण ध्रुव में उतरने वाला पहला यान

इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन सबसे अलग और खास है क्योंकि अब तक जितने भी देशों ने अपने यान चंद्रमा पर भेजे हैं उनकी लैंडिग उत्तरी ध्रुव पर हुई है जबकि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा। दक्षिण ध्रुव में पानी व बर्फ की खोज करेगा। चंद्रयान-3 मिशन साल 2019 में किए गए चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन है।

इसरो प्रमुख बोले- सबसे बड़ी चुनौती अब ये बची

इसरो चीफ डॉ. सोमनाथ ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अगर चंद्रयान-3 और उसके बाद विक्रम लैंडर ने चांद को कैप्चर कर लिया। तब मिशन पूरा होगा। हर स्टेप कठिन है। हम ह्यूमन रेटेड कर रहे हैं। एक अगस्त को लूनर ट्रांजेक्शन, 17 अगस्त को मॉड्यूल सेपरेशन होगा। इसके बाद अगर सब कुछ सही रहा तो 23 अगस्त की शाम 5:45 बजे लैंडिंग संभव होगी।

आपको इंतजार करना होगा। ये सब गणनाएं हैं। कठिनाई है लेकिन सब कुछ गणित है।

भारत का किफायती मिशन

बता दें कि चंद्रयान-1 मिशन में 386 करोड़ रुपये का खर्च आया था। वहीं, चंद्रयान-2 मिशन में 978 करोड़ रुपये की लागत आई थी। अब चंद्रयान-3 मिशन भी काफी किफायती है। इसकी लागत 615 करोड़ रुपये है। इतने में तो स्पेस पर आधारित हॉलीवुड की फिल्में बनती हैं।

भारत का ‘मून मिशन’

बता दें कि चंद्रयान-3 आज 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च हो चुका है। यह चंद्रयान -2 का फॉलोअप मिशन है। श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से इसकी लॉन्चिंग हुई। चंद्रयान-3 मिशन में लैंडर, रोवर शामिल हैं। मिशन में ऑर्बिटर शामिल नहीं है। लैंडर, रोवर 14 दिनों तक एक्टिव रहेंगे। 23-24 अगस्त के बीच चांद में लैंडिंग की कोशिश होगी। चंद्रयान-3 का वजन की बात करें तो लैंडर मॉड्यूल का वजन 1.7 टन है। प्रोपल्शन का वजन करीब 2.2 टन है। लैंडर में रखा रोवर 26 किलोग्राम का है।

चंद्रयान वैज्ञानिकों के श्रम का फल : राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग पर कहा कि आज एक अरब से ज्यादा लोग गर्व से चमकते हुए आकाश की ओर देख रहे हैं। चंद्रयान-3, इसरो के निर्माण के बाद से वैज्ञानिक समुदाय द्वारा किए गए दशकों के श्रम का फल है। इस मिशन की सफलता हमें चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगी। सचमुच एक अविश्वसनीय उपलब्धि है! इसरो की पूरी टीम को बधाई।

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