सीपीआईएम के सेमिनार से मुस्लिम लीग ने किया बायकॉट

  • समान नागरिक संहिता पर विपक्षी एकता को लगा झटका

नई दिल्ली। देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बहस तेज है और विपक्षी दलों ने इसके विरोध को लेकर रणनीतियां बनाना शुरू कर दी हैं। लेकिन, केरल में इस कवायद को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सेमिनार से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने किनारा कर लिया है। मुस्लिम लीग का कहना है कि सीपीआईएम ने इस सेमिनार में कांग्रेस को नहीं बुलाया है। जबकि वो केरल में कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में वो गठबंधन में दरार डालने की वजह नहीं बनना चाहेगी।

बता दें कि केरल में इंडियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) कांग्रेस की मुख्य सहयोगी है और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का हिस्सा है। इस संबंध में आईयूएमएल ने मलप्पुरम के पनक्कड़ में एक बैठक बुलाई और उसमें निर्णय लिया गया. बैठक के बाद राज्य में आईयूएमएल के अध्यक्ष सैयद सादिक अली शिहाब थंगल ने कहा- मुस्लिम लीग, गठबंधन यूडीएफ का एक प्रमुख हिस्सा है, इसलिए मुस्लिम लीग सभी सहयोगी दलों के परामर्श के बाद ही कोई निर्णय ले सकती है। कांग्रेस इस लड़ाई में एक प्रमुख भूमिका निभा सकती है। यूडीएफ के किसी अन्य घटक दल को सेमिनार में नहीं बुलाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे कांग्रेस को बाहर रखकर समान नागरिक संहिता के खिलाफ एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते हैं।

‘सभी को एकजुट करने की जरूरत’

आईयूएमएल के वरिष्ठ नेता और विधायक पीके कुन्हालीकुट्टी ने कहा कि मुस्लिम लीग ने शुरू से ही इस मुद्दे पर एक ठोस आंदोलन का नेतृत्व किया है। संविधान विरोधी इस कदम पर सादिक अली शिहाब जल्द एक सेमिनार का आयोजन करेंगे. इसमें सभी संगठनों को आमंत्रित किया जाएगा. जरूरत बंटवारे के सेमिनार की नहीं, सद्भाव के सेमिनार की है। वरना इससे बीजेपी को मदद मिलेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली में सेमिनार के जरिए एकजुट करने की जरूरत है।

‘सीपीआईएम ने सेमिनार में कांग्रेस को नहीं बुलाया’

बताते चलें कि सीपीआईएम ने यूसीसी के खिलाफ अपने अभियान के तहत कोझिकोड में राज्य स्तरीय सेमिनार आयोजित किया है। सीपीआईएम के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा है कि सेमिनार में शामिल होने के लिए उन सभी लोगों को आमंत्रित किया जाएगा जो गैर सांप्रदायिक हैं लेकिन कांग्रेस को आमंत्रित नहीं किया जाएगा.

‘कांग्रेस ही यूसीसी पर संसद में विरोध कर सकती है’

इस बयान पर विवादा हो गया और मुस्लिम लीग विरोध में उतर आई। आईयूएमएल के अध्यक्ष सैयद सादिक अली ने कहा, मुद्दा यह था कि क्या मुस्लिम लीग को सीपीआईएम के सेमिनार में हिस्सा लेना चाहिए या नहीं। कोई भी राजनीतिक दल इस पर सेमिनार आयोजित कर सकता है और कोई भी दल/संगठन इसमें हिस्सा ले सकता है या नहीं, यह उनकी पसंद है। यहां मुस्लिम लीग यूडीएफ का मुख्य घटक दल है। देश में कांग्रेस ही है जो संसद में भी समान नागरिक संहिता का सबसे प्रभावी ढंग से विरोध कर सकती है। उनके नेतृत्व में ही आंदोलन को ताकत मिलेगी। इसलिए मुस्लिम लीग सभी से सलाह-मशविरा करके ही कोई फैसला ले सकती है।

‘कांग्रेस को किनारे नहीं रखा जा सकता’

अली ने कहा, सीपीआईएम ने सिर्फ मुस्लिम लीग को आमंत्रित किया था और अन्य सभी सहयोगी दलों को आमंत्रित नहीं किया है, इसलिए हमने एक बैठक बुलाई और उसमें सेमिनार में शामिल नहीं होने का फैसला लिया गया है। यूसीसी के मुद्दे पर कांग्रेस को किनारे रखकर कोई एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकता।

यूनिफॉर्म सिविल कोड

यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का मतलब है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. यानी हर धर्म, जाति, लिंग के लिए एक जैसा कानून। अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे।

  • समान नागरिक संहिता भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 का हिस्सा है। संविधान में इसे नीति निदेशक तत्व में शामिल किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है।

भारत में अभी अलग-अलग कानून

भारत में अलग अलग धर्मों के अपने अपने कानून हैं। जैसे- हिंदुओं के लिए हिंदू पर्सनल लॉ। मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ। ऐसे में यूसीसी का उद्देश्य इन व्यक्तिगत कानूनों को खत्म कर एक सामान्य कानून लाना है। आइए जानते हैं कि यूसीसी अगर लागू होता है, तो किस धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

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