दो धड़े में बंटे 50 हजार पुलिस कर्मचारी भी

-मणिपुर हिंसा

नई दिल्ली। मणिपुर में जातीय हिंसा की चपेट में अब पुलिस कर्मचारी भी आ गए हैं। लगातार हो रही हिंसक घटनाओं, बेकाबू होते हालात के बीच करीब 50 हजार पुलिस कर्मचारी भी दो धड़े में बंट गए हैं। जानकारी के अनुसार, अपनी सुरक्षा के लिए मैतेई समुदाय के पुलिस वाले इंफाल घाटी और कुकी समुदाय के पुलिस वाले पहाड़ों की तरफ जा रहे हैं। नव नियुक्त डीजीपी राजीव सिंह ने पुलिस कर्मियों को मनचाही जगह ड्यूटी जॉइन करने की इजाजत दी है।

गौरतलब है, मणिपुर में मैतेई व कुकी समुदाय के बीच खूनी संघर्ष छिड़ा है। पुलिस पर अपने समुदाय के लोगों को बढ़ावा देने का भी आरोप है। ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें पुलिस कर्मचारी पुलिस स्टेशनों और सुरक्षा कैंपों में रखे हथियार और गोला-बारूद लूटने में भीड़ की मदद कर रहे हैं। नए डीजीपी ने ऐसे पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की है। पिछले महीने राजीव के ज्वाइनिंग के समय करीब 1200 कर्मचारी ड्यूटी से गायब थे। उनमें से 1,150 पुलिस वाले ड्यूटी पर लौट आए हैं। इसके अलावा 304 नए कॉन्सटेबलों को भी फोर्स में शामिल किया गया है। ये युवा कुकी और मैतेई दोनों समुदायों से आते थे।


17 साल के लड़के और पुलिस कमांडो सहित चार की मौत

बता दें, मणिपुर में बिष्णुपुर जिले के कांगवई इलाके में गुरुवार (6 जुलाई) और शुक्रवार (7 जुलाई) की दरमियानी रात को दो समुदायों के बीच झड़प में मणिपुर पुलिस के एक कमांडो और एक 17 साल के लड़के सहित चार लोगों की मौत हो गई। जिस इलाके में दोनों समुदायों के लोग आसपास रहते हैं, वहां स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए सुरक्षा बलों केबनाए गए ‘बफर जोन’ के बावजूद रात के दौरान गोलीबारी हुई।

हिंसा की वजह

मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता रैली’ निकालने के बाद राज्य में तीन मई को जातीय हिंसा भड़की थी। इसमें अब तक 120 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं और 3,000 से अधिक लोग घायल हो गए।

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