- कर्नाटक हाईकोर्ट ने रद्द की एफआईआर
- स्कूल प्रबंधन के खिलाफ देशद्रोह का मामला किया गया था दर्ज
- नाटक की भाषा को बताया अपमानजनक और गैरजिम्मेदाराना
बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों को लेकर एक मामले में बेहद अहम टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने एक स्कूल प्रबंधन के खिलाफ देशद्रोह के मामले को रद्द करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल किए गए अपशब्द अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना थे लेकिन यह देशद्रोह नहीं है। उच्च न्यायालय की कलबुर्गी पीठ के न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदार ने बीदर के न्यू टाउन पुलिस थाने द्वारा शाहीन स्कूल के प्रबंधन से जुड़े व्यक्तियों अलाउद्दीन,अब्दुल खालिक,मोहम्मद बिलाल इनामदार और मोहम्मद मेहताब के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकियों को रद्द कर दिया।
अदालत ने कहा कि समाहित की गई भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए)(धार्मिक गुटों के बीच वैमनस्य पैदा करना) मामले में सामने नहीं आई। न्यायमूर्ति चंदनगौदार ने अपने फैसले में कहा,‘‘ ऐसे असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल कि प्रधानमंत्री को चप्पलों से पीटा जाना चाहिए, न केवल अपमानजनक है बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है। सरकार की नीतियों की रचनात्मक अलोचना की अनुमति है लेकिन नीतिगत निर्णय लेने के लिए,जिसे लेकर लोगों के एक खास वर्ग को आपत्ति हो सकती है, संवैधानिक पदाधिकारियों को अपमानित नहीं किया जा सकता।’’
नाटक को ऐसे मिली सुर्खियां
अदालत ने कहा कि यद्यपि ऐसे आरोप लगाए गए थे कि बच्चों ने जो नाटक का मंचन किया उसमें सरकर के कई कानूनों की आलोचना की गई और कहा गया कि ‘‘ अगर ऐसे कानूनों को लागू किया गया तो मुसलमानों को देश छोड़ना पड़ सकता है।’उसने कहा, ‘ नाटक का मंचन स्कूल परिसर के अंदर हुआ। बच्चों ने ऐसे कोई शब्द इस्तेमाल नहीं किए जो हिंसा के लिए लोगों को भड़काते हों अथवा अव्यवस्था फैलाते हों।’उच्च न्यायालय ने कहा कि इस नाटक की जानकारी लोगों को तब हुई जब एक आरोपी ने इस नाटक का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया।
हिंसा भड़काने की मंशा नहीं
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, ‘‘इसलिए दूर दूर तक इसकी कल्पना नहीं की जा सकती कि याचिकाकर्ताओं ने नाटक का मंचन सरकार के खिलाफ हिंसा के लिए लोगों को भड़काने के वास्ते अथवा सार्वजनिक अव्यवस्था फैलाने के लिए किया।’स्कूल के कक्षा चार,पांच और छह के छात्रों ने 21 जनवरी 2020 को संशोधित नागरिकता कानून तथा राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ एक नाटक का मंचन किया था और इसके बाद स्कूल प्रशासन के खिलाफ राजद्रोह की प्राथमिकी दर्ज की गई।
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ये है मामला
दरअसल, कर्नाटक में बीदर जिले के शाहीन स्कूल में साल 2020 में सीएए और एनआरसी को लेकर बच्चों ने नाटक किया था। इसके बाद आरोप लगा कि स्कूल देश के खिलाफ काम करके नकारात्मक बातें फैला रहा है। वहीं इस दावे को शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन ने खारिज करते हुए कहा था कि पुलिस हर रोज स्कूल आती थी और बच्चों के साथ देशद्रोही की तरह व्यवहार करती है। साथ ही यह आरोप भी लगाया गया था कि सीएए कानून के खिलाफ कक्षा 4 के छात्रों के मंच पर किए गया नाटक सांप्रदायिक प्रकृति का था। इसमें दावा किया गया था कि मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगे थे। इसको लेकर निलेश राकेश्याला ने बीदर के पुलिस स्टेशन में आईपीसी के सेक्शन 504, 505 (2), 124 (ए) और 153 (ए) के तहत केस दर्ज कराया था।
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