-कई मंत्रियों ने खुलकर जताई नाराजगी
बोले- अपने नेताओं की नाराजगी नहीं झेल सकते
मुंबई। एनसीपी नेता अजित पवार के मंत्रिमंडल में अपने समर्थकों संग शामिल होने से एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों में नाराजगी देखी जा रही है। शिंदे गुट के विधायक संजय शिरसाट के मुताबिक शिंदे- फडणवीस सरकार के पास 170 से ज्यादा विधायकों का संख्या बल था। ऐसे में एनसीपी को सरकार में शामिल करवाने की कोई जरूरत नहीं थी। हालांकि, राजनीति में कई बार कई समीकरण बैठाये जाते हैं। वहीं शिंदे गुट के दूसरे विधायक भरत गोगावले ने कहा है कि अजित पवार गुट के शामिल होने से अब आधी रोटी खानी पड़ेगी। गोगावले ने कहा कि यह बात सच है कि बीजेपी के इस कदम से नाराजगी और निराशा होगी। लेकिन अब नाराज होकर क्या होगा। इससे बेहतर होगा कि हम आगे बढ़ें और अपने काम पर ध्यान दें। संजय शिरसाट ने कहा कि आगामी रविवार तक तक और मंत्रिमंडल विस्तार किया जायेगा। जिसमें हमारे लोगों को भी मंत्री पद मिल सकता है।
शिरसाट ने कहा कि हमारे साथ आये हुए विधायक यह पूछ रहे हैं कि आखिर अजित पवार को सरकार में शामिल क्यों किया गया। आखिर इसकी जरूरत क्या थी? सरकार पर कोई संकट नहीं था बावजूद इसके भी अजित पवार को और उनकी टीम को सरकार में लिया गया। शिरसाट का कहना है कि हमारे विधायकों के मन में यह सवाल भी है कि आखिर तीन पार्टियों का मंत्रीमंडल किस तरह से काम करेगा। सवाल यह भी है कि एनसीपी के इतने नेता मंत्री क्यों बनाये गए? उन्होंने आगे कहा कि हम हमेशा एनसीपी के खिलाफ थे और आज भी हैं। हम शरद पवार के खिलाफ हैं। शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को सीएम के रूप में इस्तेमाल किया था। जब उद्धव सीएम थे तो एनसीपी (शरद पवार) सरकार चलाते थे।
सीएम शिंदे भी हैं भाजपा से नाराज!
अजित पवार के सरकार में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में नाराजगी बढ़ती दिख रही है। खबर है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यक्रम से भी सीएम शिंदे ने दूरी बना ली। खास बात है कि सीएम शिंदे राष्ट्रपति को रिसीव करने के लिए मंगलवार को नागपुर तो पहुंचे थे, लेकिन कुछ समय बाद ही राजधानी मुंबई लौट आए थे।
शिंदे सेना को किस बात का डर
कहा जा रहा है कि एनसीपी के सरकार में शामिल होने के बाद शिवसेना विधायकों को कद घटने की चिंता है, क्योंकि अधिकांश नए विधायक महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गजों में गिने जाते हैं। ऐसे में शिंदे सेना को डर है कि उनके स्थिति महाविकास अघाड़ी जैसी ही हो सकती है।
बिगड़ सकती है स्थिति
अगर जल्दी महाराष्ट्र सरकार में आंतरिक रूप से जारी कथित तनाव को शांत नहीं किया गया, तो इसका असर गहरा हो सकता है। दरअसल, रविवार को शपथ लेने वाली सभी 9 मंत्रियों की अपने-अपने क्षेत्रों में भाजपा और शिवसेना नेताओं के साथ तनाव रहता है। 2019 विधानसभा चुनाव में एनसीपी के कम से कम 9 विधायक सीधे तौर पर भाजपा के खिलाफ मैदान में थे। जबकि, एनसीपी के 3 विधायक शिवसेना के खिलाफ उम्मीदवार थे।
MVA के दौर से ही NCP से नाराजगी
खास बात है कि बीते साल अविभाजित शिवसेना में बगावत के बाद शिंदे समर्थक विधायकों ने एनसीपी मंत्रियों पर क्षेत्र में दखल देने के आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि एनसीपी के मंत्रियों के चलते वे अपने क्षेत्रों में परेशानियों का सामना कर रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उस दौरान खासतौर से अजित पवार, छगन भुजवल, दिलीप वलसे पाटिल और सुनील तटकरे का नाम सामने आया था।
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