कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- आप किसान नहीं, बिलियन डॉलर कंपनी हो
बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारत सरकार के निर्देशों को चुनौती देने वाली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर की याचिका खारिज कर दी। इसके अलावा कोर्ट ने ट्विटर के आचरण का हवाला देते हुए उस पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। ट्विटर ने पिछले साल जून में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा कुछ लोगों के अकाउंट, ट्वीट और यूआरएल ब्लॉक करने के केंद्र सरकार के आदेश को कोर्ट में चुनौती देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार (30 जून) को केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ लगाई गई ट्विटर की याचिका खारिज कर दी। सरकार ने कहा कि विदेशी कंपनी होने कारण ट्विटर लगातार कानूनों की अनदेखी करती आई है।
ट्विटर को नियमों जानकारी होनी चाहिए
सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्णा सिन्हा ने कहा- कोर्ट यह मानता है कि केंद्र के पास ट्वीट और अकांउट ब्लॉक करने का पावर है। ट्विटर कोई किसान नहीं है, बल्कि एक बिलियन डॉलर कंपनी है, उसे नियमों की जानकारी होनी चाहिए थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार का आदेश न मानने के चलते ट्विटर पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने कहा- सजा जानते हुए भी आदेश नहीं माने
फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश कृष्णा एस दीक्षित ने कहा- ट्विटर को नोटिस दिए गए थे, आदेश न मानने पर सात साल की सजा और फाइन लगाया जा सकता है यह जानते हुए भी ट्विटर ने उनका पालन नहीं किया। ट्विटर कोई किसान या कानून से अपरिचित कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है, बल्कि एक अरबपति कंपनी है जिसे नियमों की जानकारी होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा- केंद्र के पास है पर्याप्त शक्ति
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वह केंद्र सरकार के रुख से आश्वस्त है कि उसके पास न केवल ट्वीट्स को ब्लॉक करने की शक्ति है, बल्कि वह खातों को भी ब्लॉक कर सकती है। कोर्ट ने कहा, ट्विटर ने आपत्तिजनक सामग्री को ब्लॉक करने की केंद्र सरकार की मांगों का समय पर पालन नहीं करने का कारण नहीं बताया है। कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
ट्विटर ने याचिका में यह कहा था
ट्विटर ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि भारत सरकार को सोशल मीडिया खातों को ब्लॉक करने के लिए सामान्य आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। आदेशों में कारण शामिल होने चाहिए, जिन्हें उपयोगकर्ताओं को सूचित किया जाना चाहिए। उसने कोर्ट में कहा कि ट्वीट्स को ब्लॉक करने का आदेश केवल उस स्थिति में जारी किया जा सकता है, जहां सामग्री की प्रकृति सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत निर्धारित आधारों के अनुरूप हो।
सरकार ने कोर्ट में दी ये दलील
केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपनी दलील रखते हुए कहा था कि भारत की संप्रभुता या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा होने पर ही सरकार हस्तक्षेप करेगी और इसे लेकर ही ट्विटर खातों को ब्लॉक करने के निर्देश दिये गए। सरकार ने कहा कि ट्विटर अपने खाताधारकों की ओर से नहीं बोल सकता। उसके पास याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है।
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