केंद्र ने बदला नेहरू मेमोरियल का नाम, पीएम मोदी पर बरसा विपक्ष

-कांग्रेस ने इस कदम को प्रतिशोध तो आरजेडी ने कहा, नेहरू से डरती है मोदी सरकार

  • अब प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड सोसाइटी के नाम से जाना जाएगा यह संस्थान
  • राजनाथ की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में लिया गया फैसला

(फोटो : नेहरू मेमोरियल1, 2)

नई दिल्ली। दिल्ली स्थित नेहरू मेमोरियल का नाम बदल दिया गया है। अब नेहरू मेमोरियल को पीएम मेमोरियल के नाम से जाना जाएगा। नाम बदलने पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि नाम में बदलाव प्रतिशोध और संकीर्णता का नतीजा है। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी को अब प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड सोसाइटी के नाम से जाना जाएगा। गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक हुई थी, जिसमें नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने के फैसले पर मुहर लग गई। राजनाथ सिंह नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष हैं। वहीं प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं।

पीएम मोदी ने रखा था 2016 में प्रस्ताव

उल्लेखनीय है कि साल 2016 में पीएम मोदी ने एक प्रस्ताव रखा था कि तीन मूर्ति परिसर में देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। उसी साल 25 नवंबर को एनएमएमएल की 162वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बीते साल 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था।

यह है इतिहास

एडविन लुटियंस की इंपीरियल कैपिटल का हिस्सा रहा तीन मूर्ति भवन अंग्रेजी शासन में भारत के कमांडर इन चीफ का आधिकारिक आवास था। ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर इन चीफ के जाने के बाद 1948 में तीन मूर्ति भवन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक आवास बन गया। पंडित नेहरू 16 साल तक इस घर में रहे और यहीं पर उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद इस तीन मूर्ति भवन को पंडित नेहरू की याद में उन्हें समर्पित कर दिया गया और इसे पंडित नेहरू म्यूजियम एंड मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा। अब केंद्र सरकार ने इसका नाम नेहरू मेमोरियल से बदलकर पीएम म्यूजियम एंड सोसाइटी कर दिया है।

किसने, क्या कहा

‘नाम में बदलाव प्रतिशोध का नतीजा : कांग्रेस

सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है और कहा कि यह फैसला घटिया और निराश करने वाला है। विपक्ष ने कहा कि यह सरकार इतिहास को नए सिरे से लिखना चाहती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘नाम में बदलाव प्रतिशोध और संकीर्णता का नतीजा है। पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के वास्तुकार के नाम और विरासत को विकृत, तिरस्कृत और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। असुरक्षाओं के बोझ तले दबे एक छोटे कद के व्यक्ति स्वयंभू विश्वगुरु हैं।’

नया इतिहास लिखने की कोशिश : सीपीआई

सीपीआई के डी. राजा ने भी सरकार पर बरसते हुए कहा कि भारत के लोग जानते हैं कि आरएसएस का देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं है। ‘यह उनकी ओर से कोशिश है कि देश का नया इतिहास लिखा जाए और अपना अलग ही नैरेटिव गढ़ा जाए। नेहरू देश के पहले पीएम थे और उन्होंने योजना आयोग बनाने से लेकर राष्ट्रीय संस्थाओं के विकास तक में योगदान दिया था।’

नेहरू से डरती है मोदी सरकार : आरजेडी

आरजेडी लीडर मनोज झा ने कहा कि नेहरू आधुनिक भारत के शिल्पकार थे। इस सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि नेहरू की यादों को खत्म नहीं किया जा सकता। यह सरकार नेहरू के विचारों को संसदीय लोकतंत्र के रक्षक के तौर पर देखती है। इसलिए उनसे खतरा महसूस करती है।’

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