-गलवान संघर्ष के तीन साल,
-भारत सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर किए कई बदलाव
नई दिल्ली। 15 जून 2020 को ठीक तीन साल पहले गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक बड़ा संघर्ष देखा गया था, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि चीन ने अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा जारी नहीं किया था। जिस समय यह संघर्ष हुआ, भारतीय सेना के पास इनपुट थे कि चीन की सेना भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रही है। लेकिन यहां बड़ी तादाद में भारतीय जवान तैनात नहीं थे। सिर्फ 1500 जवानों की तैनाती थी। लेकिन अब जब इस घटना को तीन साल बीत गए हैं सेना ने इस इलाके पर विशेष ध्यान दिया है। बड़ी तादाद में यहां जवानों को तैनात किया गया है। एक मीडिया ग्रुप द्वारा एक्सेस किए गए आंकड़ों के मुताबिक सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने अकेले लद्दाख में 2021 में 19 और 2022 में 26 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है। इसने इस साल 54 परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसमें अलग-अलग योजनाओं के साथ प्रमुखता से सड़कों और पुल का निर्माण शामिल है। अब लगभग 50,000 अतिरिक्त सैनिकों को यहां तैनात किया गया है। यह संख्या के लिहाज़ से लेह की आबादी से ज़्यादा है। गलवान घाटी संघर्ष के बाद सेना इस इलाके को लेकर काफी एक्टिव है।
कई अहम बदलाव
पिछले तीन सालों में में पूर्वी लद्दाख में खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) के लिए ढेर सारे आधुनिक उपकरणों की तैनाती और 4-5 रेजिमेंटों से लेकर 10-12 तक अतिरिक्त र बख्तरबंद रेजिमेंटों की तैनाती देखी गई है। जिन जवानों को यहां बड़ी तादाद में तैनात किया गया है। उनके रहने की व्यवस्था का खास तौर पर ध्यान रखा गया है। बेहतर सड़कें, ट्रैक, पुल, स्थायी सुरक्षा, आवास और सैनिकों के लिए हर सुविधा का इंतेजाम बेहतर ढंग से किया गया है। यह पहले के मुकाबले एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
ऐसे बढ़ा था तनाव
मई 2020 से एलएसी के पास चीनी सैनिकों की बढ़ती मौजूदगी और उस महीने कुछ मामूली टकराव की घटनाओं के साथ तनाव बढ़ रहा था। एक मई 2020 को दोनों देशों के सौनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के नॉर्थ बैंक में झड़प हुई थी। इसमें दोनों ही तरफ़ के दर्जनों सैनिक घायल हो गए थे. इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में एक बार फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुईं। इसके बाद भारतीय सेना ने अगले दिन बयान जारी कहा था कि 17 सैनिकों की मौत हुई है, आंकड़ा बढ़ कर 20 पहुंच गया था। चीन ने अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा छिपा लिया था।
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हम 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर अपना अधिकार खो चुके : खड़गे
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुल खड़गे ने तीन साल पहले गलवां घाटी में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारत के 20 वीर जवानों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा, मोदी सरकार की नाकामियों के चलते एलएसी पर इन तीन सालों में पहले की तरह यथास्थिति अब नहीं है। हम 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर अपना अधिकार खो चुके हैं। खड़गे ने अपने ट्वीट में लिखा, हमने संसद में ये मुद्दा कई बार उठाने की कोशिश की है, पर मोदी सरकार देशवासियों को अंधेरे में रखना चाहती है। गलवां पर पीएम मोदी की ‘क्लीन चिट’ की वजह से चीन अपने नापाक इरादों में सफल होता दिख रहा है। ये हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अखंडता पर गहरा आघात है। मोदी सरकार की ‘लाल आंख’ धुंधली पड़ गई है, जिस पर उसने चीनी चश्मा पहन रखा है।
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