भारत के स्थायी सदस्य न बनने से यूएन की नैतिक वैधता कमजोर

  • रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उठाई पुरजोर मांग

नई दिल्ली। सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने के लिए हाल के सालों में भारत सबसे प्रबल दावेदार बनकर सामने आया है। भारत ने लगातार वैश्विक संगठन में अपनी स्थायी सदस्यता की मांग की है। इसी क्रम में एक बार फिर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मांग को दोहराया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि अब समय आ गया है जब संयुक्त राष्ट्र के निकायों को अधिक लोकतांत्रिक और वर्तमान की वास्तविकताओं का प्रतिनिधि बनाया जाए। उन्होंने कहा कि जब दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में सीट नहीं मिलती है तो यह “नैतिक वैधता को कमजोर करने” की ओर बढ़ता होता है। इसलिए, अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र के निकायों को और अधिक लोकतांत्रिक बनाया जाए। वे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) शांति स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर राजधानी दिल्ली में आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान, संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प भी वहां मौजूद थे। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे, सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न दूतावासों के रक्षा अताशे भी मौजूद थे।

ये है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के छह प्रमुख अंगों में से एक है। इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी। सुरक्षा परिषद की संरचना की बात करें तो इसमें पांच स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस। यह सामूहिक रूप से P5 के रूप में जाने जाते हैं। इनमें से कोई भी प्रस्ताव को वीटो कर सकता है। यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में से चीन को छोड़कर चार अन्य देशों, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने यूएनएससी में स्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी के लिए द्विपक्षीय रूप से अपना समर्थन दिया है। हालांकि, चीन ने भारत की दावेदारी में हमेशा बाधा डाली है।

000

प्रातिक्रिया दे