घर वालों के खिलाफ शादी, वायरल हुआ शोक संदेश
जबलपुर। शहर की एक बेटी का परिजनों ने जीते जी पिंडदान कर दिया। पिंडदान करने जैसे कड़वे फैसले के पीछे वजह यह थी कि युवती ने मुस्लिम युवक से निकाह कर लिया था, जिससे परिजन नाराज हो गए। नर्मदा के तट गौरी घाट पर युवती के माता, पिता और भाई ने न केवल पिंडदान किया बल्कि मृत्यु भोज भी दिया। परिजनों ने युवती का शोक संदेश भी प्रिंट करवाया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
दरअसल, जबलपुर के अमखेरा इलाके में रहने वाली युवती ने कुछ माह पहले मोहम्मद अयाज नाम के युवक के साथ निकाह कर लिया था। निकाह के बाद वह अनामिका दुबे से उजमा फातिमा बन गई थी। अनामिका के इस फैसले से नाराज होकर परिवार जनों ने बेटी का परित्याग करते हुए उसके निधन का शोक संदेश छपवाया। उन्होंने अपने परिचितों और रिश्तेदारों में शोक संदेश का कार्ड भेज कर नर्मदा तट पर आयोजित पिंडदान संस्कार में शामिल होने का न्योता दिया। युवती के परिजनों ने शोक संदेश में उसे कुपुत्री बताया और नरकगामी आत्मा को शांति प्रदान करने लोगों से पधारने की अपील की।
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बहन की शादी के लिए संजोए थे सपने
मुस्लिम युवक से विवाह करने वाली युवती के भाई अभिषेक दुबे ने कहा कि उसने अपनी बहन की शादी के लिए सपने संजोए थे, लेकिन उसकी ज़िद ने सारे सपने तोड़ दिए। दुबे ने बताया कि रविवार को नर्मदा तट गौरी घाट में पूरे विधि विधान के साथ परिवार जनों ने पिंडदान का संस्कार संपन्न कराया। परिजनों का कहना है कि बड़े ही लाड प्यार के साथ उन्होंने अनामिका की परवरिश की थी, लेकिन उसने गैर धर्म के युवक के साथ निकाह कर पूरे परिवार की बदनामी कराई है। सामाजिक बदनामी के चलते उनके लिए अब बेटी के जिंदा रहने के कोई मायने नहीं रह गए हैं।
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युवक-युवती ने कर ली कोर्ट मैरिज
पिछले दिनों इस मामले को लेकर हिंदू संगठनों ने एसपी आफिस पहुंचकर जमकर प्रदर्शन किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि गोहलपुर थाना क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के एक युवक मोहम्मद अयाज ने लव जिहाद करते हुए हिंदू लड़की अनामिका दुबे से पहले कोर्ट मैरिज कर ली। अब मुस्लिम रीति रिवाज से दोनों शादी करने जा रहे हैं। हिंदू लकड़ी का धर्म परिवर्तन कर उसका नाम उजमा फातिमा रख दिया गया है।
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सालों से करते थे एक-दूसरे को प्रेम
कथित लव जिहाद के इस मामले में पुलिस ने मुस्लिम युवक को क्लीन चिट दे दी थी। डीएसपी तुषार सिंह का कहना था कि मुस्लिम युवक और हिंदू युवती की रजिस्टर्ड मैरिज आपसी सहमति से हुई। इसकी जानकारी दोनों के परिजनों को भी थी। विवाह के लिए किसी भी तरह दबाव नहीं बनाया गया था। युवक-युवती कई सालों से एक-दूसरे को प्रेम करते थे।
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