ओडिशा के बाद छग में एक पटरी पर आईं दो ट्रेनें, दशहत में यात्री

जयरामनगर स्टेशन पर कोरबा लोकल के सामने आ गई मालगाड़ी, ट्रेन से उतर गए यात्री

00 प्रारंभिक जांच में इंटरलाकिंग की वजह ऐसे हालात बने

00 सोशल मीडिया में वायरल हुआ वीडियो, रेलवे ने दी सफाई

ओडिशा के बालासोर की घटना की जांच अभी शुरु नहीं हुई और रविवार की सुबह बिलासपुर रेल मंडल के जयरामनगर रेलवे स्टेशन में दूसरी बड़ी घटना होने से बच गई है। सुबह बिलासपुर से गेवरा के लिए लोकल रवाना की गई थी। जयरामनगर स्टेशन पर ट्रेन खड़ी हुई तो उसी लाइन पर एक मालगाड़ी भी आ गई, जिससे यात्रियों में हड़कंप मच गया और वे घटना के भय से ट्रेन से उतर गए।

हरिभूमि न्यूज, बिलासपुर। सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने के बाद रेलवे ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि वहां आटोमैटिक सिग्नलिंग ब्लाक सेक्शन है, गेवरा लोकल और मालगाड़ियों का परिचालन भी नियम अनुसार किया गया है। ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की घटना को वर्तमान जांच में इंटरलाकिंग की वजह माना जा रहा है। इंटरलाकिंग और आटो सिग्नलिंग का काम बिलासपुर डिवीजन के बिलासपुर से जयरामनगर स्टेशन के बीच और उसलापुर से घुटकू रेलवे स्टेशनों के बीच किया गया है। रेलवे के अनुसार आटोमेटिक सिग्नल में गाड़ियों की दूरी निश्चित है, जिससे ट्रेन दुर्घटना में कमी आएगी। रेलवे के टेक्निकल वर्ड को ज्यादातर यात्री समझ नहीं पाते हैं। बालासोर में हुई घटना के बाद से यात्री भी अब ट्रेन में सफर करने से पहले सोच रहे हैं। रविवार की सुबह यात्रियों के साथ इसी तरह की घटना घट गई। सुबह बिलासपुर जोनल रेलवे स्टेशन से गेवरा के लिए लोकल पैसेंजर स्पेशल रवाना की गई थी, जिसका स्टापेज छोटे स्टेशनों पर भी है। गेवरा लोकल जयरामनगर रेलवे स्टेशन के पास पहुंची थी, कि यात्रियों ने इसी ट्रैक पर मालगाड़ी को तेजी से सामने से आते हुए देखा। दुर्घटना के भय से यात्रियों में हड़कंप मच गया और वे हंगामा मचाने लगे। आनन-फानन में दोनों ट्रेनों को कुछ दूरी पर रोक दिया गया। वहीं ट्रेन रूकते ही कोच में सवार यात्री लाइन पर उतरकर इधर-उधर भटकने लगे। करीब एक घंटे बाद लाइन को व्यवस्थित कर दोनों ट्रेनों को रवाना कर दिया गया।

आटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लाक सेक्शन

जयरामनगर स्टेशन पर एक लाइन पर दो ट्रेनों के आमने-सामने होने की सूचना रेलवे को सोशल मीडिया से मिली। इस सूचना के बाद रेलवे ने स्पष्ट किया कि जयरामनगर-बिलासपुर सेक्शन में आटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लाक सेक्शन है। रेलवे के सामान्य नियम के अनुसार जहां भी आटोमैटिक सिग्नलिंग ब्लाक सेक्शन है, वहां एक ही लाइन पर एक से अधिक गाड़ियों का सुरक्षित परिचालन एक ही समय में सिग्नल के आधार पर किया जाता है। गेवरा लोकल और मालगाड़ियों का परिचालन भी नियम अनुसार किया गया है।

आटोमैटिक सिग्नल से ट्रेन दुर्घटना में कमी

रेलवे के अनुसार बिलरायपुर और नागपुर डिवीजन में नई लाइन के साथ परंपरागत सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड कर आटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम में परिवर्तित किया जा रहा है। यह सिग्नल बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रखरखाव के साथ ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने व प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रैफिक को नियंत्रित करने में सहयोग करता है। इस सिस्टम में एक ही रूट पर एक के पीछे एक ट्रेन बिना लेट हुए आसानी से चल सकती है।

ट्रेन की स्पीड हुई 130 केएमपीएच

एसईसीआर के तीनों डिवीजन में तीसरी और चौथी लाइन के काम तेजी से हो रहे हैं, ताकि वर्तमान में चल रही ट्रेनाें की रफ्तार बढ़ाई जा सके। इसमें नागपुर से दुर्ग सेक्शन में ट्रेन की रफ्तार 110 से बढ़ाकर 130 किलोमीटर प्रति घंटे के अनुसार की गई है। आटोमैटिक सिग्नल से रेल लाइन पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ संख्या भी बढ़ेगी। कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकालने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

दो ट्रेन की दूरी 15 किलोमीटर की

रेल अफसरों का कहना है कि पूर्व में जहां दो स्टेशन के बीच एक ही ट्रेन चलती थी। वहीं आटो सिग्नलिंग से दो स्टेशन के बीच दूरी के अनुसार 2, 3, या 4 ट्रेन भी आ सकती है। औसतन एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 12 से 15 किलोमीटर तक होती है। ट्रेन को यह दूरी तय करने में 15 मिनट का समय लगता है। पहले गई ट्रेन के पीछे 15 मिनट के बाद दूसरी ट्रेन चलाई जाती है।

रेलवे को किया जा रहा बदनाम

काेई आईटी सेल लगातार रेलवे को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। इससे पहले भी सोशल मीडिया में दो ट्रेनों के आमने-सामने आने का वीडियो वायरल किया गया था। रविवार को भी जयरामनगर स्टेशन में एक ही लाइन पर मालगाड़ी और गेवरा लोकल को दिखाया गया। लोकल ट्रेन में आगे और पीछे इंजन लगे रहते हैं। वीडियो वायरल होने के बाद क्रास चेक भी कराया गया, लेकिन यह फर्जी निकला।

विकास कश्यप, सीनियर डीसीएम, रेल मंडल बिलासपुर

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