सुप्रीम कोर्ट का आदेश- अनुकंपा पर यूं ही नहीं मिलेगी नौकरी, पास करना होगा टेस्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि अनुकंपा के आधार पर मिली नौकरी में शैक्षणिक और पेशेवर योग्यताओं को पूरा करना आवश्यक है। ऐसा नहीं कि योग्यताएं पूरी करने में विफल रहने पर उसे निचले ग्रेड में रख दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर मिली नौकरी अधिकार नहीं है। इसके लिए योग्यताओं को पूरा करना जरूरी है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने यह फैसला देते हुए अनुंकपा के आधार पर मिली नौकरी गंवाने वाले को राहत देने से इनकार कर दिया।

क्या है मामला

उत्तर प्रदेश के रेहन को सांख्यिकी विभाग में चालक पिता की मृत्यु के बाद कनिष्ठ सहायक की नौकरी दी गई थी। उसे कहा गया था कि वह बेसिक कंप्यूटर और टाइपिंग की विभागीय परीक्षा दे और न्यूतनम अंक अर्जित करे। कंप्यूटर और टाइपिंग परीक्षा में वह फेल हो गया। इसके बाद उसे एक और मौका दिया गया और इस मौके पर भी वह टाइपिंग का टेस्ट पास नहीं कर पाया। इस पर सांख्यिकी अधिकारी ने उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। याचिकाकर्ता रेहन ने इस आदेश को उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि यदि वह कनिष्ठ सहायक पद के योग्य नहीं है तो उसे चतुर्थ श्रेणी में नौकरी दी जाए।

यूपी सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

यूपी सरकार ने इसके खिलाफ खंडपीठ में अपील की, लेकिन वह खारिज हो गई। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और कहा कि हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है। राज्य सरकार की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि ऐसा नहीं कि योग्यताएं पूरी करने में विफल रहने पर उसे निचले ग्रेड में रख दिया जाए। अनुकंपा के आधार पर मिली नौकरी में शैक्षणिक और पेशेवर योग्यताओं को पूरा करना आवश्यक है।

अनुकंपा नियुक्ति रियायत है अधिकार नहीं

ज्ञात हो कि इससे पूर्व भी सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि सभी सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक रियायत है अधिकार नहीं। शीर्ष अदालत ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत अनिवार्य सभी सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति में सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, लेकिन यह एक मापदंडों का अपवाद है।

0000

प्रातिक्रिया दे