–रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 6.5 फीसदी, महंगाई का अनुमान मामूली घटाया
–लगातार दूसरी बार नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं
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इंट्रो
भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की। ब्याज दर 6.50% बनी रहेगी। इससे लोन महंगा नहीं होगा और न ही कर्ज पर ईएमआई बढ़ेगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई 4% के ऊपर ही रहने की संभावना है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2023-24 में रियल जीडीपी ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान है।
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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा है जबकि केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दर में बदलाव नहीं किया है। हालांकि, रिजर्व बैंक ने संकेत दिया है कि वह वृद्धि की रफ्तार को कायम रखते हुए महंगाई दर को और नीचे देखना चाहता हैं। रिजर्व बैंक के इस कदम से वाहन, मकान और अन्य ऋण पर ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी। केंद्रीय बैंक का नीतिगत दर नहीं बढ़ाने का निर्णय बाजार उम्मीदों के अनुरूप है। रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को यथावत रखने का फैसला किया है। इसके अलावा समिति ने 5:1 के मत से अपने उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय भी किया है। केंद्रीय बैंक का उदार रुख पिछले साल अप्रैल से शुरू हुआ था। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में वृद्धि दर के अनुमान को 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था। वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 5.1 प्रतिशत किया गया है। पहले इसके 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया था। मौद्रिक नीति समिति की मंगलवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिये गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा, एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। शेष साल में भी इसके लक्ष्य से ऊपर ही रहने का अनुमान है। दास ने कहा, एमपीसी अपने उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
अप्रैल की पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में भी रिजर्व बैंक ने रेपो दर में बदलाव नहीं किया था। इससे पहले मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये रिजर्व बैंक पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। रेपो दर वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। केंद्रीय बैंक नीतिगत दर के बारे में निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है। उसे मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। आरबीआई का अनुमान है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आठ प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में छह प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहेगी। दास ने कहा कि मुद्रास्फीति को तय दायरे में बनाए रखने के लिए एमपीसी त्वरित और उचित नीतिगत कार्रवाई जारी रखेगी।
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सामान्य मानसून का दिखेगा असर
दास ने कहा कि रबी उपज बढ़ने, सामान्य मानसून के अनुमान और सेवाओं में तेजी के साथ मुद्रास्फीति के नरम पड़ने से परिवारों का उपभोग बढ़ेगा। इसके अलावा बैंकों और कंपनियों के बही-खाते में सुधार, आपूर्ति श्रृंखला की स्थिति बेहतर होने और अनिश्चितता घटने से निवेश का चक्र तेजी पकड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का पूंजीगत खर्च बढ़ने से भी निवेश और विनिर्माण गतिविधियां तेज होंगी।
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इसलिए कर्ज नहीं होगा महंगा
आरबीआई के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।
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रुपे प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को ‘रुपे प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड’ जारी करने की अनुमति देने का फैसला किया। इस कदम से विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए भुगतान करने के विकल्प बढ़ेंगे। इस कार्ड का इस्तेमाल एटीएम, पीओएस मशीन और विदेश में ऑनलाइन व्यापारियों के लिए किया जा सकेगा। इसके अलावा बैंक विदेश में रुपे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और प्रीपेड कार्ड जारी कर सकेंगे, जिसका इस्तेमाल भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा सकता है।
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महंगाई का अनुमान घटाया
आरबीआई ने महंगाई अनुमान को फाइनेंशियल वर्ष 24 में 5.2% से घटाकर 5.1% किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई पर अर्जुन की नजर बनाए रखने की जरूरत को दोहराया। उन्होंने कहा कि महंगाई अभी भी 4% के टारगेट से ऊपर बनी हुई है। उन्होंने ये भी कहा कि यात्रा का अंतिम चरण हमेशा सबसे कठिन होता है। दास ने कहा कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बरकरार है।
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