—एक हफ्ते की देरी से पहुंचा, कुछ ही घंटों में तमिलनाडु
— दो-तीन हफ्ते में पूरी हो जाएगी देरी की भरपाई
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इंट्रो
लंबे इंतजार के बाद मानसून ने केरल में दस्तक दे दी। मॉनसून के दस्तक देने के साथ ही केरल के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई। राज्य के नौ जिलों में ‘येलो अलर्ट’ और एक में ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया गया है। छत्तीसगढ़वासियों को अभी इंतजार करना होगा। मौसम विभाग के अनुसार 25 जून के आसपास छत्तीसगढ़ में मानसून की एंट्री होगी।
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तिरुवनंतपुरम। आईएमडी ने मॉनसून के केरल आगमन की घोषणा की है। यह सामान्य समय से एक सप्ताह के विलंब से आया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कोझीकोड जिले के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है।‘ऑरेंज अलर्ट’ का मतलब छह सेंटीमीटर (सेमी) से 20 सेमी तक भारी बारिश होना और ‘येलो अलर्ट का अर्थ छह से 11 सेमी के बीच बारिश होना है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि केरल में मॉनसून की शुरुआत में देरी चिंता का विषय नहीं है क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) के सदस्य सचिव शेखर लुकोस कुरियाकोस ने कहा कि राज्य में मॉनसून अभी-अभी आया है और हमें इंतजार करना होगा और यह देखना होगा कि मॉनसून का क्या असर होता है। उन्होंने कहा, यह अभी शुरुआत है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि बारिश का दौर तेज होगा और मॉनसून देरी से आने की भरपाई अगले 2-3 सप्ताह में हो जायेगी। उन्होंने कहा कि केरल में मॉनसून के आने की घोषणा के बाद पहला ‘ऑरेंज अलर्ट’ आज कोझीकोड के लिए जारी किया गया था। केएसडीएमए ने एक विज्ञप्ति में कहा, तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पत्तनमथिट्टा, अलप्पुझा, कोट्टायम, इडुक्की, एर्नाकुलम, त्रिशूर, पालक्कड़, मलप्पुरम, कोझीकोड, वायनाड और कन्नूर जिलों में एक या दो स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और 40 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का अनुमान है। केरल के कासरगोड जिले में एक या दो स्थानों पर बारिश होने का अनुमान है। इसके अलावा, केरल में मॉनसून की शुरुआत के बाद कई जिलों में दिन के दौरान आंधी चलने और बिजली गिरने की चेतावनी भी जारी की गई है।
गौरतलब है कि भारत के कृषि सेक्टर के लिए सामान्य बारिश बुहत जरूरी है। कुल कृषि क्षेत्र का 52% बारिश पर निर्भर है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी अहम है।
देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में बारिश पर निर्भर खेती का लगभग 40 प्रतिशत योगदान है, जो इसे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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देरी पर चिंता की बात नहीं
आईएमडी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. राजेंद्र कुमार जेनामनी के मुताबिक केरल में मानसून भले देरी से आया है। इसमें चिंता वाली कोई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि मानसून के देरी से आने का मतलब यह नहीं है कि बारिश भी कम होगी।
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सिर्फ 6 बार तय समय पर आया
आजादी के बाद से अब तक सिर्फ 6 बार ही मानसून अपनी तय तारीख यानी 1 जून को केरल में पहुंचा है। 11 बार मानसून 25 मई से पहले ही पहुंच गया, जबकि 11 बार मानसून 7 जून के बाद आया। वहीं जिन 8 सालों में सामान्य से 10% ज्यादा बारिश हुई, उनमें 1983 भी शामिल है, तब मानसून 13 जून को आया था। जिन 14 सालों में सूखा पड़ा, उनमें से 9 बार मानसून 1 जून से पहले ही आ चुका था।
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धीरे-धीरे बढ़ रहा आगे
आईएमडी ने कहा, दक्षिण पश्चिम मॉनसून आठ जून को केरल पहुंच गया। मॉनसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों तथा समूचे लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल के अधिकतर क्षेत्र, दक्षिण तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और दक्षिण पश्चिम, मध्य एवं उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।
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अगले 24 घंटों में पूरे केरल में मॉनसून सक्रिय हो जाएगा। इसके बाद 48 घंटों के भीतर तमिलनाडु, कर्नाटक, पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में इसका असर देखने को मिलेगा। फिर धीरे-धीरे मध्य भारत होते हुए यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों तक पहुंचेगा।
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चक्रवात ‘बिपरजॉय’ का ज्यादा प्रभाव नहीं
केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सचिव शेखर लुकोस ने कहा कि अरब सागर में चक्रवात ‘बिपरजॉय’ ने भले ही मॉनसून की शुरुआत को प्रभावित किया हो, लेकिन इसकी तीव्रता पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, वास्तव में, आईएमडी ने इस मॉनसून के मौसम में केरल में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि तटीय इलाकों में पिछले सप्ताह से चेतावनी जारी की गई है कि मछुआरे समुद्र में न जाएं।
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