जवानों के लिए ‘मिलेट’ से बनेगा पकोड़ा और डोसा!

केंद्रीय बलों की बैठक में फैसला, मोटा अनाज से तैयार होगी डिश

नई दिल्ली। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों को अब सुपरफूड मिलेगा। 11 लाख की संख्या वाले इन बलों के जवानों और अधिकारियों के खाने में मिलेट को स्थायी रूप से शामिल किया जाएगा। सीएपीएफ और असम राइफल में यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू होगी। नॉर्थ ब्लॉक स्थित केंद्रीय गृह मंत्रालय में हुई सभी केंद्रीय बलों की बैठक में यह फैसला लिया गया है। अभी तक जो स्वादिष्ट पकवान, चावल, गेहूं, सूजी या किसी अन्य उत्पाद की मदद से तैयार होते थे, अब उन्हें मिलेट से तैयार किया जाएगा। मोटे अनाज से ही पकौड़ा, हलवा, खीर व डोसा सहित कई डिश तैयार होंगी। सीआरपीएफ ने तो इस बाबत अपनी सभी यूनिटों को सर्कुलर जारी कर दिया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय में मिलेट को लेकर हुई बैठक में सीएपीएफ, एनएसजी और असम राइफल में मोटे अनाज के इस्तेमाल को लेकर चर्चा हुई थी। प्रमुख मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, ककून, कुटकी, कोदो, सावा और चेना को शामिल किया गया है। वर्तमान में मोटे अनाज यानी मिलेट का ‘सुपर फूड’ के तौर पर प्रचार किया जा रहा है। सीएपीएफ द्वारा विभिन्न यूनिटों, सेक्टरों, ग्रुप सेंटरों और अन्य इकाइयों को भेजे सर्कुलर में मिलेट को लेकर जानकारी दी गई है। पत्र में कहा गया है कि 1965 में हरित क्रांति के दौरान मिलेट पर जोर दिया गया था। हालांकि तब भी मिलेट का देश के विभिन्न हिस्सों में परंपरागत तौर से इस्तेमाल हो रहा था। मिलेट से शरीर में कई आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती है। भारत सरकार ने 2018 को ‘मिलेट ईयर’ घोषित किया था। इसका मकसद देश में मोटे अनाज की पैदावार और उपभोग को बढ़ाना था। मार्च 2021 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने अपने 75वें सत्र में 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट, घोषित किया था। यह इसलिए किया गया ताकि लोगों में मिलेट के प्रति जागरूकता पैदा हो और उन्हें इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में पता चल सके।

मोटे अनाज के गिनाए फायदे

सीआरपीएफ के सर्कुलर में मिलेट के कई फायदे गिनाए गए हैं। मोटे अनाज के जरिए शरीर को बहुत अच्छी मात्रा में पोषक तत्त्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, डाइटरी फाइबर और गुड क्वॉलिटी फैट आदि मिल जाते हैं। इसके साथ ही मोटे अनाज में कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, मैगनीज, जिंक और बी कॉम्पलेक्स विटामिन जैसे मिनरल भी रहते हैं। इसी वजह से मिलेट को ‘न्यूट्रिशन रिच एंड क्लाइमेट स्मार्ट’ फसल कहा जाता है।

रेजिमेंटल समारोह के दौरान भी मिलेट

मुख्य सचिव अजय भल्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में मिलेट के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की बात कही गई है। पहले चरण के तहत सीएपीएफ के मैस में जो भोजन परोसा जाता है, उसमें 25 फीसदी मिलेट को शामिल किया जाएगा। इसमें अफसर मैस और अन्य रैंक के लिए संचालित मैस को रखा गया है। साथ ही इन बलों में होने वाले सभी रेजिमेंटल समारोह के दौरान भी भोजन में 25 फीसदी हिस्सा मिलेट का रहेगा। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सभी जवानों के ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में भी 25 फीसदी तक मिलेट से बने उत्पादों को शामिल किया जाएगा।

एम्स सहित अन्य संगठनों की लेंगे मदद

अधैसैनिक बलों के जवानों को मिलेट से जोड़ने के लिए डाइट के जानकार और डॉक्टरों की मदद ली जाएगी। सीएपीएफ का मेडिकल डायरेक्ट्रेट, अधिकारियों और डाइटिशियन का एक बोर्ड गठित करेगा, जो 25 फीसदी मिलेट को जवानों के भोजन में शामिल करने बाबत वर्क आउट करेगा। सीआरपीएफ के मैन्यू को तैयार करते वक्त एम्स सहित कई अन्य ऐसे संगठनों की मदद ली जा सकती है। नोडल अफसर हर दो सप्ताह में जोन, सेक्टर, रेंज और जीसी व यूनिट लेवल पर मिलेट के प्रोत्साहन के लिए किए जाने वाले कार्यों की रिपोर्ट तैयार करेंगे। यह भी देखा जाएगा कि रोजाना खाए जाने वाले गेहूं और चावल की मात्रा में 25 फीसदी की कटौती हुई है या नहीं। किस बल में मिलेट का कितना इस्तेमाल हो रहा है, हर माह की दो तारीख तक यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी।

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