एनसीईआरटी की किताबों से हटाई गई डार्विन थ्योरी!

-शिक्षा मंत्री ने दी सफाई, कहा अभी सुझाव मांगा है

(फोटो : डार्विन)

नई दिल्ली। कक्षा 9 और 10 की राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से “चार्ल्स डार्विन के विकास के सिद्धांत” को हटाए जाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि 9वीं और 10वीं की विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों से डार्विन की थ्योरी हटा दी गई है। अब इस पूरे विवाद पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने सफाई दी है। उन्होंने बुधवार को कहा कि इन मुद्दों पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और एनसीईआरटी ने राज्यों से जवाब मांगा है। जी-20 की तीसरी शिक्षा कार्य समूह की बैठक के लिए भुवनेश्वर पहुंचे सरकार ने कहा, ” एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की है और इसे सभी राज्यों को भेजा है। निर्णय राज्य की राय के आधार पर लिया जाएगा।”

वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों ने लिखा था खुला पत्र

इससे पहले, ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी के बैनर तले एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक से “जैविक विकास के सिद्धांत” सबंधी अध्याय को हटाए जाने पर चिंता जताते हुए 1,800 से अधिक वैज्ञानिकों, विज्ञान शिक्षकों और शिक्षाविदों के एक समूह ने एक खुला पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया है, “देश का वैज्ञानिक समुदाय यह देखकर गंभीर रूप से निराश है कि जैविक विकास का सिद्धांत, जो 10वीं कक्षा में विज्ञान पाठ्यक्रम का एक अभिन्न अंग था, उसको हटा दिया गया है। इसे पहली बार कोरोना महामारी के दौरान पाठ्यक्रम में कमी के अंतरिम उपाय के तहत हटाया गया था। लेकिन एनसीईआरटी डॉक्यूमेंट https://एनसीईआरटी.nic.in/pdf/BookletClass10.pdf में कहा गया है कि इसे ‘सामग्री युक्तिकरण’ के कदम के रूप में स्थायी रूप से हटा दिया गया है!”

मानव संसाधन मंत्री ने डार्विन थ्योरी को बताया था गलत

2018 में, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने घोषणा की थी कि डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत था क्योंकि “किसी ने कभी बंदर को इंसान में बदलते नहीं देखा।” उन्होंने कहा कि जब से मनुष्य पृथ्वी पर आया है, वह एक मनुष्य है। सिंह ने बाद में अपनी टिप्पणियों का बचाव किया और जोर देकर कहा कि स्कूलों और कॉलेजों को विकास सिद्धांत पढ़ाना बंद कर देना चाहिए। सिंह अब शिक्षा मंत्रालय में नहीं हैं लेकिन उनकी जो इच्छा थी उसे लागू किया जा रहा है।

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