पहलवानों ने फिर खोला मोर्चा, पहले धरना, अब न्याय के लिए पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

—भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर की मांग

— यौन उत्पीड़न के आरोपों की उचित जांच की लगाई गुहार

इंट्रो

भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ देश के नामी पहलवानों ने फिर से मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना दूसरे दिन सोमवार को भी जारी है। इस बीच, विनेश फोगाट समेत 8 पहलवान सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अपील की है। इधर, खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव पर लगी रोक लगा दी गई है।


नई दिल्ली। जंतर-मंतर पर न्याय की मांग के लिए बैठे पहलवानों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शीर्ष अदालत से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। इसके लिए पहलवान विनेश फोगाट के साथ ही छह अन्य महिला पहलवानों ने याचिका दाखिल की है। पहले से की जा रही एफआईआर दर्ज करने की मांग दोहराई है। पहलवानों ने रविवार देर रात सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दाखिल की है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील नरेंद्र हुडा हैं जो मंगलवार को उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने याचिका पर जल्द सुनवाई किए जाने की मांग करेंगे।

पहलवानों के मुताबिक, उन्होंने 21 अप्रैल को दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में शिकायत दी थी। शिकायत दिए जाने के बावजूद पुलिस ने उनकी प्रार्थना पर एफआईआर दर्ज नहीं की है। पहलवान बीते तीन महीने से कुश्ती महासंघ अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग कर रहे हैं। 21 अप्रैल की शिकायत पर भी एक्शन न लेने पर पहलवान रविवार को एक बार फिर जंतर-मंतर पर जुटे और प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने आरोपों को दोहराया था। इसके पहले भी जनवरी 2023 में बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक के साथ कई पहलवान जंतर-मंतर पर जुटे थे और अपनी बात रखी थी।

इधर, आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को भेजे खेल मंत्रालय के पत्र में कहा गया है, यह समझा जाता है कि कार्यकारी समिति (डब्ल्यूएफआई की) का चुनाव सात मई 2023 को निर्धारित किया गया है। इस संबंध में, वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक है कि उक्त चुनाव प्रक्रिया को रद्द माना जाए और कार्यकारी समिति के नए चुनाव एक तटस्थ संस्था/ निर्वाचन अधिकारी के तहत कराए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, आईओए को एक अस्थाई समिति या तदर्थ समिति का गठन करना चाहिए जो अपने गठन के 45 दिन के भीतर डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी परिषद का चुनाव कराए और डब्ल्यूएफआई के कामकाज का प्रबंधन करें जिसमें खिलाड़ियों का चयन और अगली कार्यकारी समिति के पदभार संभालने से पहले तक की अंतरिम अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में खिलाड़ियों की भागीदारी की प्रविष्टियां तैयार करना शामिल है।” मंत्रालय ने साथ ही खुलासा किया कि 23 जनवरी को गठित निगरानी समिति अब रद्द हो गई है।


कुश्ती संघ के चुनाव पर रोक

जंतर-मंतर पर जारी पहलवानों के प्रदर्शन के बीच भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव पर लगी रोक लगा दी गई है। खेल मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय ओलंपिक संघ एक एडहॉक कमेटी बनाएगी। यही कमेटी 45 दिनों के अंदर कुश्ती महासंघ का चुनाव करवाएगी।

पहलवान बोले- चुनाव से कोई लेना-देना नहीं

भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव पर रोक के फैसले पर धरने पर बैठे शीर्ष पहलवानों ने कहा कि उनका डब्ल्यूएफआई चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। वे सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों की उचित जांच की मांग के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे।

पूर्व राज्यपाल मलिक ने उठाए सवाल

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पूछा कि सरकार किस मुंह से बेटी बचाओ का नारा देती है। देश की बेटियां तो पिछले 3 महीने से न्याय के लिए भटक रही हैं। देश के भविष्य से खिलवाड़ सिर्फ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि जिस पर आरोप लग रहे हैं वह भाजपा सांसद हैं।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खिलाड़ियों का समर्थन किया है।

क्या है आरोप

पहलवानों का आरोप है कि महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण होता है। इसके साथ ही महासंघ के अध्यक्ष पर तानाशाही और मनमानी करने का भी आरोप लगाया है। जंतर-मंतर पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में विनेश फोगाट का कहना था कि उनके समेत कई पहलवान मेंटल टॉर्चर से जूझ रहे हैं। हम नहीं सुरक्षित हैं तो फिर कौन सुरक्षित है।

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