फोटो राम मंदिर नाम से ….
अयोध्या। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या में रविवार को दुनिया के सात महाद्वीपों के 155 देशों की नदियों के लाए गए जल से रामलला के निर्माणाधीन राम मंदिर का जलाभिषेक किया गया। कार्यक्रम में 40 से अधिक देशों के प्रवासी भारतीयों ने हिस्सा लिया। जय श्रीराम के नारों के बीच, अनेक देशों के राजदूत व राजनयिक भी इस भव्य कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन पूने के नौ पंडितों के संस्कृत मंत्रोच्चारण द्वारा हुआ। विश्व भर से एकत्रित जल पर एक लघु फिल्म शलू कुमारी द्वारा निर्देशित भी दिखाई गई। श्रीराम कथा की संगीतमय प्रस्तुति अजय भाई ने दी।
स्वागत भाषण में डॉ. विजय जौली ने बताया कि बाबर की जन्मस्थली के देश उज्बेकिस्तान के शहर अंदीजांन की प्रसिद्ध कशक दरिया नदी का पवित्र जल भी अयोध्या राम मंदिर जलाभिषेक के लिए विशेष रूप से भारत पहुंचा है। इसके साथ ही रूस व यूकेन के युद्ध ग्रस्त देशों के जल के साथ-साथ, चीन व पाकिस्तान फ्रांस,जर्मनी, जॉर्जिया, स्विट्जरलैंड, इटली, इराक, कनाडा, चीन, भूटान, अफगानिस्तान, ब्राज़ील, डेनमार्क जैसे कुल मिलाकर 155 देशों से जल लाया गया है जिसे यहां अर्पित किया गया।
इन देशों के राजदूत रहे उपस्थित दीं शुभकामनाएं
फीजी, मंगोलिया, डेनमार्क, भूटान, रोमानियां, हैती, ग्रीस, कोमोरोस, कबेवर्डे, मोन्टीनीग्रो, टुवालू, अल्बानियां और तिब्बत आदि देशों के राजनयिकों ने मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम के इस ऐतिहासिक जलाभिषेक कार्यक्रम में भाग लिया। भूटान, सूरीनाम, फीजी, श्रीलंका व कंबोडिया के वर्तमान राष्ट्राध्यक्षों ने इस अवसर पर अपने शुभकामना संदेश दिल्ली स्टडी ग्रुप अध्यक्ष व पूर्व विधायक डॉ. विजय जौली को भेजे ।
ढाई साल लगे पूरी दुनिया से जल लाने में
डॉ. जौली ने कहा कि प्रभु श्रीराम में न केवल भारत, अपितु विश्व भर के लोगों की आस्था व विश्वास है। इस वैश्विक जल को एकत्रित करने में ढाई साल लगे तथा इससे न केवल हिंदुओं अपितु मुसलमानों, ईसाईयों, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी समुदाय व विश्व के सातों महाद्वीपों के लोगों ने इस महाअभियान में सहयोग दिया। डॉ. जौली ने इसे ऐतिहासिक व अविस्मरणीय पल बताया।
ऐसे आया पाकिस्तान राबी का जल
जिन देशों से ये जल के कलश लाए गए हैं उनमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी है, वहां की प्रसिद्ध नदियों में से एक राबी नदी का जल भी इसमें शामिल है। हालांकि पाकिस्तान से जल लाना आसान नहीं था। दुबई के रास्ते इस जल को भारत लाया गया। इतना ही नहीं रूस और यूक्रेन से भी प्रभु श्री राम की जन्मभूमि पर जलार्पण के लिए जल लाया गया।
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