कई सफेदपेशों का लिया था नाम, रसूखदार सफेदपोशों की ओर घूमने लगी है शक की सूई
- रिमांड में गिनाए थे आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई गणमान्यों के नाम
इंट्रो
उमेश पाल हत्याकांड का राज उगलवाने के लिए चार दिन की पुलिस रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शहर के बीच मंडलीय अस्पताल के गेट पर सुरक्षा घेरे में हत्या की वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस दुस्साहसिक दोहरे हत्याकांड के पीछे शक की सूई रसूखदार सफेदपोशों की ओर घूमने लगी है। एक दिन पहले ही धूमनगंज थाने में पूछताछ में माफिया ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने रिश्तों का खुलासा किया था। आशंका है कि राज खुलने के डर से माफिया और उसके भाई की जान ली जा सकती है। फिलहाल पुलिस इस पहलू पर पैनी नजर रखे हुए है…
लखनऊ। मारे गए डॉन अतीक अहमद ने रिमांड के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए थे, प्रयागराज समेत यूपी भर में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किए गए आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई गणमान्यों के नाम गिनाए थे। यह वो नाम हैं जिन्होंने अतीक के काले धन को अपनी कंपनियों में लगाया है। ऐसी दो सौ से अधिक सेल कंपनियों के बारे में पता चला था। रियल एस्टेट कारोबार में अतीक की कमाई खपाने वालों के अलावा कई सफेदपेशों तक आंच आने लगी थी। इस तरह के पचास से अधिक नामों का अतीक ने खुलासा किया था। अपराध की दुनिया में दखल रखने वाले माफिया के कई राजनीतिक दलों के नेताओं से भी रिश्ते रहे हैं। अतीक राजनीतिक दलों को साधने में भी बखूबी माहिर था। यही वजह थी कि दो दशकों तक उसकी अंगुलियों पर सरकारें नाचती रहीं और आला पुलिस का अधिकारी उसके सियासी रसूख के आगे घुटने टेकते रहे।
12 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त
अतीक पर हत्या, अपहरण, वसूली, हमला और जमीन कब्जा समेत 102 आपराधिक मामले दर्ज थे। चार दशक पहले महज 17 वर्ष की उम्र में हत्या सरीखी वारदात को अंजाम प्रयागराज में सनसनी मचाने वाले अतीक ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो वह आगे बढ़ता ही गया। एक के बाद एक हत्या, अपहरण, जमीन पर कब्जा, हत्या के प्रयास सरीखी सौ से अधिक वारदात को अंजाम देने वाले अतीक ने क्षेत्रीय दलों की सरकारों को अपनी अंगुलियों पर नचाया।
लेकिन, इसके पीछे जमीनें हड़पना और बिल्डरों की कंपनियों में खपाना उसका सबसे बड़ा खेल रहा। योगी सरकार में उसके आर्थिक साम्राज्य पर लगातार चोट पड़ने और 12 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त किए जाने के बाद भी उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा था।
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हत्या के पीछे अलग-अलग थ्योरी
रिटायर्ड आईपीएस महेंद्र सिंह वर्मा ने इस हत्याकांड के विभिन्न एंगल पर बात की है। उन्होंने कहा, ‘इस हत्या के बाद दो चीजें सामने आ रहीं हैं। पहला ये भी हत्यारों का टारगेट एकदम साफ था और दूसरा ये भी कि उन्हें किसी बाहरी का सपोर्ट भी था। बगैर किसी सपोर्ट के वो इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सकते थे।’ वर्मा कहते हैं, ‘सुपारी की बात तभी साफ हो जाएगी जब हत्यारों का कनेक्शन सामने आएगा। अतीक और अशरफ माफिया थे। दोनों की सैकड़ों लोगों से दुश्मनी रही होगी। ऐसे में संभव है कि किसी ने अपना बदला लेने की नियत से ऐसा करवाया होगा। हां, ये भी हो सकता है कि फेमस होने के चक्कर में इन्हीं तीनों शातिरों ने इस वारदात को अंजाम दिया होगा। जैसा कि शुरुआत पूछताछ में तीनों ने पुलिस को बताया भी है।’ वर्मा के अनुसार, अतीक और अशरफ को मारने के बाद हत्यारों ने धार्मिक नारे लगाए। ऐसे में यूपी सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ये कोई बड़ी साजिश भी हो सकती है। प्रदेश सरकार को बदनाम करने की नीयत से किसी ने ऐसा करवाया होगा।
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