सहारा इंडिया में 20 करोड़ फंसे, 400 निवेशकों की 12 याचिकाएं

हाईकोर्ट में लगाई गुहार

  • केन्द्र, सेबी और सहारा के झगड़े में निवेशक के साथ ही एजेंट भी परेशान
  • तय समय मे जब राशि मैच्योर होने के बाद भी नहीं दी जा रही है

बिलासपुर। चिटफंड कंपनियों में अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा गंवाने वालों की राशि अभी वापस भी नहीं हो पाई है। इधर सहारा इंडिया में राशि निवेश करने वालों ने अपनी राशि वापसी की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई है। 400 निवेशकों ने अपने वकीलों के जरिए अलग अलग 12 याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार तय समय मे जब राशि मैच्योर होने के बाद भी नहीं दी जा रही है। केन्द्र, सेबी और सहारा के झगड़े में निवेशक के साथ ही एजेंट भी परेशान है। बिलासपुर में ही 20 करोड़ से अधिक की राशि नहीं दी जा रही है।

ध्यान रहे कि बिलासपुर में सहारा इंडिया फायनेंशियल कार्पोरेशन लिमिटेड में करीब एक हजार उपभोक्ताओं के खाते हैं। इनमें से 400 से अधिक खाताधारकों को करीब तीन साल से निवेश की राशि का भुगतान नहीं हो रहा है। करोड़ों की राशि अटकी हुई है। इसके चलते निवेशक अपने जरूरी काम नहीं कर पा रहे हैं। निवेशक वैभव जैन, एजेंट परमेश्वर साहू के मुताबिक मांग, ज्ञापन, आंदोलन सब कर लिया गया। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है, इसलिए अब हाईकोर्ट में पैसे वापसी के लिए याचिका दायर की गई है।

बेहतर भविष्य के लिए गाढ़ी कमाई लगाई

याचिका के अनुसार सहारा इंडिया के अधिकारियों ने दोबारा जमा राशि को उसी स्कीम के तहत जमा करने की बात कही। व्याज दर ज्यादा देने की जानकारी भी दी। भविष्य में अच्छी खासी रकम मिलने की उम्मीद में राशि जमा भी करा दी। अवधि पूरी होने के बाद जब राशि लेने गए तब कम्पनी ने राशि देने से इनकार कर दिया। याचिका के अनुसार सहारा को-ऑपरेटिव सोसायटी में मजदूर, सामान्य कामकाजी से लेकर व्यापारी वर्ग ने अपनी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा सुविधानुसार कम्पनी के अलग अलग स्कीम में जमा किया है। अब पैसे नहीं मिलने से परेशानी हो रही है।

सहारा-सेबी के विवाद में निवेशक परेशान

इन निवेशकों का कहना है कि आठ साल से सहारा-सेबी विवाद की वजह से अभिकर्ता व निवेशकों को पैसा नहीं मिल रहा है। परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है। निवेशकों के भुगतान में देरी की जा रही है। ज्ञात हो कि निवेशकों और एजेंटों ने इसे लेकर कलेक्टोरेट का घेराव भी किया था। निवेशकों के मुताबिक बांड मेच्योर होने के बाद भी जब राशि नही मिली तब निवेशकों ने अपने स्तर पर कम्पनी के मुख्यालय में पत्राचार भी किया। किसी तरह सन्तोषजनक जवाब न आने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। अब कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से एम्बारगो लगाने के कारण भुगतान में कठिनाई आ रही है। समूह की जिन कंपनियों पर एम्बारगो का आदेश पारित किया गया है, वो सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड है, जबकि निवेशकर्ताओं का धन सहारा को-ऑपरेटिव सोसायटी के पास जमा है।

पिछले 4 सालों से नहीं मिल रही राशि

एजेंट कमल कुमार के मुताबिक सहारा इंडिया परिवार की ओर से अलग-अलग सोसायटी का पंजीकरण करवाकर बचत योजनाओं के माध्यम से पूरे देश में निवेशकों का पैसा इन योजनाओं के माध्यम से अमानत के रूप में प्राप्त किया। प्रबंधकों ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए सोसायटी में काम करने के लिए प्रेरित किया। सहारा इंडिया परिवार से जुड़े एजेंटों ने अपनी एवं अपने परिचितों की छोटी-छोटी बचत सोसायटी के पास जमा करवाई, ताकि समय आने पर इस जमा राशि का इस्तेमाल कर सकें, लेकिन पिछले 4 सालों से हजारों लाखों निवेशकों का जमा पैसा सहारा इंडिया परिवार की ओर से नहीं लौटाया जा रहा है। इसके साथ ही एजेंटों के खुद के रुपए और पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

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