-यूजीसी की ओर से नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क की फाइनल रिपोर्ट जारी
-यह फ्रेमवर्क नई शिक्षा नीति 2020 के मूल तत्वों को ध्यान में रखकर किया है डिजाइन
नई दिल्ली। नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) जारी हो चुका है। नई शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव अब जल्द ही स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों यानी यूनिवर्सिटी-कॉलेजों की शिक्षा प्रणाली में नजर आने लगेगा। अब भारतीय ज्ञान को एक बार फिर आधुनिक विश्वविद्यालयों में परिचित कराया जा रहा है।
मंगलवार को यूजीसी की ओर से नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) की फाइनल रिपोर्ट में जारी की गई। यह एनसीआरएफ नई शिक्षा नीति 2020 के मूल तत्वों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। पिछले साल 2022 में इस फ्रेमवर्क का ड्राफ्ट सामने आया था। इस ड्राफ्ट में स्कूली शिक्षा को क्रेडिट सिस्टम पर आधारित करने की बात कही गई थी। साथ ही इस क्रेडिट सिस्टम को फ्रेमवर्क में स्कूली शिक्षा तक ही सीमित नहीं रखा गया है। अब उच्च शिक्षा और वोकेशनल एजुकेशन में भी क्रेडिट सिस्टम को लागू किया जाएगा। यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने बताया कि अब कक्षा 5 से पीएचडी तक पढ़ाई में छात्रों को पढ़ाई कुल घंटों के अनुसार क्रेडिट दिए जाएंगे। इसको इस तरह समझिए कि छात्रों को एक क्रेडिट के लिए कुल पढ़ाई के 30 घंटे देने होंगे।
ऐसे काम करेगा क्रेडिट सिस्टम
क्रेडिट असल में छात्रों को मिलने वाले वैसे ही प्वाइंट्स होंगे जो उन्हें एकेडमिक या कोर्स की पढ़ाई पर मिलते हैं। क्रेडिट सिस्टम में उन्हें आम तौर पर स्टडी ऑवर्स की संख्या, असेसमेंट इन परफार्मेंस और इसी तरह के कई फैक्टर्स के आधार पर दिए जाएंगे।
कॉलेज लेवल पर क्रेडिट सिस्टम
अब इसी तरह चार साल के स्नातक अध्ययन में 4.5, 5.0, 5.5 और 6.0 के स्तर शामिल होंगे। इसके बाद स्नातकोत्तर अध्ययन में 6.0, 6.5 और 7.0 लेवल्स को कवर करेंगे। सबसे ज्यादा पीएचडी में क्रेडिट लेवल आठ पर है।
इन स्टडी स्कीम पर मिलेगा क्रेडिट
छात्र स्टडी स्कीम में दिए गए स्पेशल प्रोग्राम्स या प्रोजेक्ट्स के के जरिए एक्स्ट्रा क्रेडिट जुटा सकते हैं। यूजीसी ने छात्रों को इसके लिए दो पूर्णकालिक डिग्री प्रोग्राम या ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रोग्राम के संयोजन को आगे बढ़ाने की अनुमति दी है। यह फ्रेमवर्क मुक्त और दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों पर भी लागू होगा। इनमें लैब वर्क, इनोवेशन लैब, स्पोर्ट्स, योग, व्यायाम, पर्फॉर्मिंग आर्ट्स, म्यूजिक, हस्तशिल्प, सोशल वर्क, एनसीसी आदि से भी क्रेडिट पाया जा सकता है।
ऐसे मिलेगा वेद पुराण का क्रेडिट
इस फ्रेमवर्क में इंडियन नॉलेज सिस्टम (आईकेएस) को स्पेशल अचीवर्स के तहत रखा गया है। फाइनल दस्तावेजों में 18 विद्याओं जिन्हें थिअरी आधारित विषय कहा जा सकता है और 64 कलाओं (अप्लाइड साइंस) को जगह दी गई है। इनमें वेद और पुराण को भी शामिल किया गया है। वेदों में आयुर्वेद, धनुर्वेद, गांधारवेद, शिल्प के अलावा पुराण, न्याय, मिमांसा, धर्मशास्त्र, वेदांग, ऐस्ट्रोनॉमी, रिचुअल और दर्शनशास्त्र को जगह दी गई है।
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