-स्टालिन सरकार की याचिका खारिज
नई दिल्ली। आरएसएस के मार्च पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए स्टालिन सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले हाई कोर्ट ने इस मामले में आरएसएस मार्च को हरी झंडी दिखाई थी। जिसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु में स्टालिन सरकार द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें आरएसएस को राज्य में मार्च निकालने की अनुमति दी गई थी। जस्टिस वी रामासुब्रह्मण्यम और पंकज मित्तल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 10 फरवरी को आरएसएस को पुनर्निर्धारित तारीखों पर तमिलनाडु में अपना रूट मार्च निकालने की अनुमति दी थी। कहा था कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विरोध आवश्यक है। उधर, हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ स्टालिन सरकार ने तर्क दिया था आरएसएस के मार्च से कई जिलों में खतरा पैदा हो सकता हैं। क्योंकि कई सड़क मार्ग पर मार्च सही नहीं है। कहा कि सरकार सीमित जगहों पर अनुमति देना चाहती थी, जैसे- बंद भवन लेकिन सड़क पर नहीं। उधर, आरएसएस ने इस मामले में राज्य सरकार के फैसले को मौलिक अधिकार का हनन बताया था।
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कॉलेजियम की सिफारिश पर केंद्र ने लगाई मुहर
-त्रिपुरा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने सिंह
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह को त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ये जानकारी दी। बता दें कि न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह इससे पहले झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। कानून मंत्री ने ट्वीट कर लिखा, “भारत के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति ने झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह को त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है।” सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 7 फरवरी को न्यायमूर्ति जसवंत सिंह की सेवानिवृत्ति के बाद त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की नियुक्ति की सिफारिश की थी। यह देखते हुए कि न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति जसवंत सिंह 22 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले थे, इससे पहले ही कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की नियुक्ति की सिफारिश करने का फैसला किया था।
न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की बात करें तो इनके परिवार में कई लोग न्यायपालिका से जुड़े रहे हैं। इनके परनाना न्यायमूर्ति भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा भारत के छठे मुख्य न्यायाधीश बने थे। नाना न्यायमूर्ति शंभू प्रसाद सिंह पटना हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे। वहीं मामा न्यायमूर्ति विश्वेश्वर प्रसाद सिंह सुप्रीम कोर्ट और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह पटना हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं।
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कॉलेजियम को लेकर सुको-केंद्र का विवाद
गौरतलब है केंद्र व सुप्रीम कोर्ट के बीच कॉलेजियम को लेकर विवाद होता रहा है। भारत में न्याय मिलने में देरी की चर्चा हमेशा से होती रही है, आलम ये है कि देश में कुल लंबित पड़े मामलों की संख्या पांच करोड़ तक पहुंचने वाली है। इसके बावजूद केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई है। दोनों तरफ से एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का तर्क है कि कोलेजियम के दिए नामों को सरकार मंजूर नहीं कर रही है, वहीं सरकार का कहना है कि कोलिजियम सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। यहां तक कि कानून मंत्री खुलेआम बोल चुके हैं कि सरकार को इसके अधिकार मिलने चाहिए।
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