-राकांपा नेता ने दी विपक्षी एकता की दुहाई
-अदाणी मामले पर पहले किया था जेपीसी का विरोध
नई दिल्ली। अदाणी मामले पर जेपीसी गठित करने की विपक्ष की मांग को गलत बताने वाले एनसीपी के मुखिया शरद पवार अब अपने रुख से पलट गए हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि विपक्ष की एकता के लिए यदि यह जरूरी है तो मैं जेपीसी के गठन का विरोध नहीं करूंगा। शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की अदाणी पर रिपोर्ट के बाद से ही ग्रुप की कंपनियों में तेज उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। इस रिपोर्ट में कुछ सवाल उठाए गए थे, जिसे लेकर विपक्ष का कहना है कि जांच के लिए जेपीसी का गठन होना चाहिए।
शरद पवार ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘विपक्षी दलों में मेरे दोस्त यदि जेपीसी की जांच पर अड़ते हैं तो फिर एकता की खातिर मैं उसका विरोध नहीं करूंगा। मैं उनके विचार से सहमत नहीं हूं, लेकिन यह तय करने के लिए हम विपक्ष के तौर एक हैं, मैं उनका साथ दूंगा। पर हम जेपीसी की जांच को लेकर जिद नहीं करेंगे।’ शुक्रवार को शरद पवार के एक बयान को लेकर खासा विवाद हो गया था और विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे। पवार ने कह दिया था कि जेपीसी के गठन का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि समिति में भाजपा ही बहुमत में होगी और विपक्षी दल अल्पमत में रहेंगे।
संसद ठप किए जाने पर उठाया था सवाल
पवार ने कहा कि जेपीसी का गठन संसद में राजनीतिक दलों की सदस्य संख्या के आधार पर होता है। भाजपा के 200 से ज्यादा सांसद हैं और 21 सदस्यों वाली जेपीसी में उसके अधिकतम सदस्य होंगे। विपक्ष के 5 से 6 सांसद ही इसमें रहेंगे। ऐसे में इतनी कम संख्या होने पर विपक्षी सांसद कैसे प्रभावशाली भूमिका अदा कर सकेंगे। फिर भी विपक्ष के लोग यदि जेपीसी की मांग पर ही अड़े हुए हैं तो फिर एकता बनाए रखने की खातिर मैं उनका साथ दूंगा। इससे पहले उन्होंने अदाणी के मामले पर संसद ठप किए जाने पर भी सवाल उठाया था।
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एनसीपी ने मिला लिया भाजपा से हाथ : कांग्रेस
इधर, महाराष्ट्र कांग्रेस (एमपीसीसी) के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि कम से कम 50 प्रतिशत समितियों में एनसीपी ने भाजपा से हाथ मिला लिया है। हम कार्यकर्ताओं की ओर से आए इनपुट के आधार पर इस ओर ध्यान दे रहे हैं। पटोले मीडिया से बात करते हुए कहा कि पवार का जेपीसी की मांग के खिलाफ बयान एक धोखा था। हमें उम्मीद नहीं थी कि पवार राहुल गांधी की मांग का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि जेपीसी जांच की मांग पर कोई समझौता नहीं होगा। पटोले ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी ने 305 समितियों में से 258 के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया है। हमारी जानकारी है कि भाजपा और एनसीपी 150 से अधिक समितियों में एक साथ चुनाव लड़ेंगे। यह बेहद आपत्तिजनक है। एनसीपी के इस फैसले के बाद शरद पवार का रुख साफ दिखाई दे रहा है। वह कांग्रेस जेपीसी की मांग के खिलाफ भी उतर चुके हैं, ऐसे में यह साफ तौर पर दिखाई देता है कि एमवीए गठबंधन में दरार आने की संभावना बढ़ जाती है।
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