इसरो को बड़ी कामयाबी, रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का परीक्षण सफल

-कर्नाटक के चित्रदुर्ग में हुआ टेस्ट

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) ने रीयूजेबल लॉन्च वीइकल स्वायत्त लैंडिंग मिशन (आरएलवीएलईएक्स) के तहत रविवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एटीआर में किया गया। एक बयान में कहा गया है, ‘इसी के साथ इसरो ने प्रक्षेपण यान की स्वायत्त लैंडिंग के क्षेत्र में सफलता हासिल कर ली।’ इसरो ने कहा, ‘एलईएक्स के साथ ही रीयूजेबल लॉन्चिंग के क्षेत्र में भारत अपने लक्ष्य के एक और कदम करीब पहुंच गया।”दुनिया में पहली बार, एक ‘विंग बॉडी’ को एक हेलीकॉप्टर की मदद से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाया जाएगा और रनवे पर स्वायत्त लैंडिंग के लिए छोड़ा गया।

भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए आरएलवी ने भारतीय समयानुसार सुबह सात बजकर 10 मिनट पर (औसत समुद्र तल से) 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी। तय मापदंडों तक पहुंचने के बाद मिशन प्रबंधन कंप्यूटर की कमान के आधार पर आरएलवी को बीच हवा में 4.6 किलोमीटर की क्षैतिज दूरी से छोड़ा गया। स्थिति, स्पीड, ऊंचाई आदि समेत 10 मापदंडों पर नजर रखी गई और इनके पूरा होने पर आरएलवी को छोड़ा गया। आरएलवी को छोड़े जाने की प्रक्रिया स्वायत्त थी। आरएलवी ने एकीकृत नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करते हुए नीचे उतरना शुरू किया और उसने भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न सात बजकर 40 मिनट पर स्वायत्त तरीके से लैंडिंग की। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ उन लोगों में शामिल थे, जो इस परीक्षण के गवाह बने।

2016 में एचईएक्स मिशन

इसरो ने इससे पहले मई 2016 में एचईएक्स (हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग) मिशन के तहत आरएलवी-टीडी यान की पुन: प्रवेश की क्षमता का सफल परीक्षण किया था, जो पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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