मुंबई। घरेलू हिंसा कानून के तहत बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है। इसके तहत ट्रांसजेंडर व्यक्ति जो लिंग परिवर्तन सर्जरी के बाद महिला बन गई है, वह भी घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत पाने का अधिकार रखती है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को कायम रखा है और व्यक्ति को अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है। बता दें कि महिला, पहले पुरुष थी और लिंग परिवर्तन सर्जरी कराकर महिला बनी। जस्टिस अमित बोरकर की सिंगल बेंच वाली पीठ ने 16 मार्च को दिए अपने फैसले में कहा कि ‘महिला’ शब्द सिर्फ महिला और पुरुष के रूप में सीमित नहीं है बल्कि इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी शामिल हैं, जो अपना लिंग परिवर्तन कराकर महिला बन चुके हैं। जस्टिस बोरकर ने रेखांकित किया कि घरेलू हिंसा कानून की धारा 2(एफ) के तहत घरेलू रिश्ते लैंगिक तौर पर तटस्थ होते हैं। हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति लिंग परिवर्तन के बाद उसी लिंग का माना जाएगा, जो उसके द्वारा चुना गया है। पीठ ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून का उद्देश्य घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करना है।
यह है मामला
दरअसल अक्टूबर 2021 में एक सत्र अदालत ने व्यक्ति को उससे अलग रह रही पत्नी को गुजारे भत्ते के तौर पर 12 हजार रुपए महीने का भुगतान करने का निर्देश दिया था। व्यक्ति की पत्नी एक ट्रांसजेंडर है और लिंग परिवर्तन सर्जरी कराकर महिला बनी है। महिला ने घरेलू हिंसा कानून के तहत अपने पति के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। महिला का कहना था कि वह 2016 में लिंग परिवर्तन कराकर महिला बन गई थी, ऐसे में वह घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत पाने की अधिकारी है। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ पति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की और दावा किया कि उसकी पत्नी ट्रांसजेंडर है, इसलिए वह घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत पाने की अधिकारी नहीं है। हाईकोर्ट ने याचिका पर उक्त टिप्पणी करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है और पति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने और बकाया को चार हफ्ते में देने का निर्देश दिया है।
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